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नॉर्वे ने स्थापित किया लैंगिक समानता का मानक

  • प्रवासी समुदाय और महिलाओं को समान अवसर

  • निष्पक्ष है समाज और कोई भेदभाव नहीं

भुवनेश्वर। नॉर्वे ने दुनिया को यह दिखा दिया है कि एक निष्पक्ष और समतामूलक समाज का निर्माण कैसे किया जा सकता है। इस देश ने लैंगिक समानता के क्षेत्र में नए मानक स्थापित किए हैं, जहां न केवल महिलाओं को समान अधिकार दिए जाते हैं, बल्कि प्रवासियों को भी समान रूप से मान्यता और सम्मान मिलता है।
नॉर्वे की सरकार ने प्रवासी समुदाय के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कई नीतियां लागू की हैं। इन नीतियों का मुख्य उद्देश्य है कि प्रवासियों को समान अवसर मिले और वे देश की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।
18वें प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर आयोजित सत्र “डायस्पोरा दिवास: महिलाओं के नेतृत्व और प्रभाव का जश्न – नारी शक्ति” सत्र में
सकारात्मक बदलावों पर टिप्पणी करते हुए सकला अपाचू डेब्रास, जो एक अनुभवी मार्केटिंग प्रोफेशनल और दोहा में अपने क्षेत्र की अग्रणी व्यक्तित्व हैं, ने कहा कि नॉर्वे में प्रवासियों को न केवल समान अधिकार दिए जाते हैं, बल्कि उन्हें अपने कौशल और प्रतिभा का सही उपयोग करने के लिए प्रेरित भी किया जाता है। यह देश लैंगिक समानता के क्षेत्र में एक मिसाल है, जहां महिलाओं को पुरुषों के बराबर सम्मान और अवसर मिलता है।
गांवों और शहरों के विकास पर जोर
नॉर्वे ने गांवों और शहरों के विकास में समानता सुनिश्चित की है। सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाने और शहरी क्षेत्रों के साथ उनका संतुलन बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
नॉर्वे का यह मॉडल दुनिया के उन देशों के लिए एक प्रेरणा है जो लैंगिक भेदभाव और सामाजिक असमानता से जूझ रहे हैं। इस पहल ने दिखा दिया है कि समाज में संतुलन और समरसता लाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और दूरदर्शिता कितनी महत्वपूर्ण है।

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