Sat. Apr 19th, 2025
भुवनेश्वर। फैशन उद्योग ने वैश्विक बाजार में अपनी मजबूत पहचान बनाई है। यह 40 अरब डॉलर का विशाल उद्योग बन चुका है और तेल के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। फैशन के इस तेजी से बढ़ते क्षेत्र में वित्तीय स्वतंत्रता और महिलाओं की भागीदारी पर जोर दिया जा रहा है।
महिलाओं के लिए वित्तीय स्वतंत्रता जरूरी
18वें प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर आयोजित सत्र “डायस्पोरा दिवास: महिलाओं के नेतृत्व और प्रभाव का जश्न – नारी शक्ति” सत्र में
कतर की प्रख्यात विपणन विशेषज्ञ सकला अप्पाचू डेब्रास ने कहा कि फैशन उद्योग में महिलाओं की भागीदारी उनकी वित्तीय स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि फैशन और विपणन के क्षेत्र में नए उत्पादों को स्वतंत्र व्यवसायों में बदलने में महिलाओं की भूमिका को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
20 वर्षों के विपणन और बिक्री अनुभव के साथ सकला डेब्रास ने कतर में मजबूत जनसंपर्क और नवाचार के माध्यम से फैशन उद्योग को नए आयाम दिए हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं न केवल रचनात्मकता के साथ उद्योग में योगदान कर रही हैं, बल्कि इसे आर्थिक मजबूती प्रदान करने का जरिया भी बना रही हैं।
फैशन में रोजगार और अवसर का क्षेत्र
फैशन उद्योग न केवल एक आर्थिक ताकत है, बल्कि यह रोजगार और उद्यमशीलता के नए अवसर भी पैदा कर रहा है। सकला डेब्रास ने बताया कि फैशन के बढ़ते बाजार में नवाचार और विपणन रणनीतियां महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित हो रही हैं।
भारत के लिए प्रेरणा
भारत जैसे देशों के लिए फैशन उद्योग केवल आर्थिक क्षेत्र नहीं, बल्कि महिलाओं को सशक्त करने का माध्यम भी है। उज्ज्वला योजना और मुद्रा योजना जैसे प्रयासों के साथ-साथ फैशन उद्योग में महिलाओं की भागीदारी को और बढ़ावा दिया जा सकता है।
दूसरा सबसे बड़ा बाजार
फैशन उद्योग का यह विकास इसे तेल के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार बनाता है। सकला डेब्रास का मानना है कि अगर महिलाओं को इस क्षेत्र में सही अवसर और समर्थन दिया जाए, तो यह उद्योग न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक बदलाव का भी माध्यम बन सकता है।
फैशन उद्योग में महिलाओं की भागीदारी से यह स्पष्ट है कि वित्तीय स्वतंत्रता और सामाजिक सशक्तिकरण साथ-साथ चल सकते हैं। यह उद्योग सिर्फ स्टाइल नहीं, बल्कि संभावनाओं और समृद्धि का प्रतीक बनता जा रहा है।
Share this news