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महिलाओं की चुनौतियां और समाधान पर जोर
भुवनेश्वर। प्रवासी भारतीय दिवस 2025 के अवसर पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने महिला सशक्तिकरण को विकसित भारत के निर्माण का आधार बताया।
18वें प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर आयोजित सत्र “डायस्पोरा दिवास: महिलाओं के नेतृत्व और प्रभाव का जश्न – नारी शक्ति” सत्र का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं को समान अवसर और संसाधनों तक पहुँच देकर ही देश की प्रगति संभव है।
जयशंकर ने कहा कि भारत में महिलाओं को अभी भी सामाजिक और आर्थिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने लैंगिक समानता, पोषण और शिक्षा तक पहुंच को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जब तक महिलाओं को बराबरी के अवसर नहीं मिलेंगे, तब तक विकसित भारत का सपना अधूरा रहेगा।
उन्होंने भारत में लड़कियों को उच्च शिक्षा से जोड़ने की वकालत की। इसके अलावा महिलाओं के स्वास्थ्य, पोषण और रोजगार के क्षेत्र में संघर्ष का जिक्र किया।
महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की पहल
जयशंकर ने कहा कि सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं।
उज्ज्वला योजना के तहत 10 करोड़ से अधिक महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन प्रदान किए गए।
मुद्रा योजना के तहत महिलाओं को छोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए कर्ज दिया जा रहा है।
मातृत्व अवकाश को बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया, जिससे महिलाओं को परिवार और करियर में संतुलन बनाने में मदद मिली।
लिंग अनुपात में सुधार के लिए “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसी योजनाएं शुरू की गईं।
महिला सशक्तिकरण में पुरुषों की भूमिका को रेखांकित करते हुए जयशंकर ने कहा कि सोच को बदलना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब समाज पुरुषों और महिलाओं को बराबरी से देखेगा, तब ही असली बदलाव आएगा।
महिला नेतृत्व का आह्वान
सत्र के दौरान जयशंकर ने कहा कि महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं में आगे लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 50% महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के बिना विकसित भारत संभव नहीं है। जब महिलाएं आदर्श बनेंगी और समाज में बदलाव लाएंगी, तब हमारा देश सशक्त और आत्मनिर्भर बनेगा।
जयशंकर ने महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक बाधाओं को दूर करने का आह्वान करते हुए कहा कि यह सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है।