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महाप्रभु श्री जगन्नाथ की रेतकला और रथयात्रा की झलकियां भी प्रस्तुत
भुवनेश्वर। भुवनेश्वर के जनता मैदान आयोजित प्रवासी भारतीय दिवस समारोह स्थल बने भारत मंडपम में आयोजित एक विशेष आयोजन में सनातन संस्कृति और इसकी अद्वितीय धरोहर की भव्यता प्रदर्शित की गई। इस आयोजन का प्रमुख आकर्षण पुरूषोत्तम श्रीराम और रामायण से जुड़ी झांकियां रहीं, जिन्होंने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यहां महाप्रभु श्री जगन्नाथ की रेतकला और रथयात्रा की झलकियां भी प्रस्तुत की गईं हैं, जो ओडिशा की समृद्ध संस्कृति को वैश्विक मंच पर लाने का प्रयास है।
रामायण का भव्य प्रदर्शन और श्रीराम के जीवन की झलक दर्शायी गई है और यह वन गमन से लेकर अयोध्याय वापसी की विविध कहानियों को जीवंत करती हैं। श्रीराम की मर्यादा पुरुषोत्तम की छवि और रामराज्य के सिद्धांतों को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करते हुए दर्शकों को सनातन धर्म की प्रासंगिकता समझाने का प्रयास किया गया है।
महाप्रभु श्री जगन्नाथ की कला का प्रदर्शन
इसी तरह से ओडिशा के कलाकारों द्वारा बनाई गई महाप्रभु श्री जगन्नाथ की रेत कला ने दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। इस कला में महाप्रभु
की झलक भी दिखाई गई, जो इस उत्सव की भव्यता को दर्शाती है। कलाकारों ने अपने सृजन के माध्यम से ओडिशा की सांस्कृतिक समृद्धि को उजागर किया।
विदेशों में सनातन धर्म का प्रचार
आयोजन में प्रवासी भारतीयों ने भी हिस्सा लिया और विदेशों में सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार की कहानियां साझा कीं। उन्होंने बताया कि कैसे सनातन संस्कृति ने उन्हें विदेशों में पहचान दिलाई और भारत के प्रति मान-सम्मान बढ़ाया। प्रवासी भारतीयों का कहना है कि रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों से प्रेरणा लेकर वे भारतीय मूल्यों को वैश्विक मंच पर पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
आधुनिक संदर्भ में सनातन धर्म की प्रासंगिकता
कहा कि सनातन धर्म केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन जीने का मार्ग है। इसके सिद्धांत आज भी समाज में समानता, भाईचारा और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने श्रीराम के आदर्शों को अपनाने और समाज में उनकी शिक्षाओं को लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया।
समृद्धि और पहचान का प्रतीक
यह आयोजन भारतीय संस्कृति की समृद्धि और उसकी वैश्विक पहचान का प्रतीक था। प्रवासियों ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम हमारी जड़ों से जोड़ने का काम करते हैं और नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति पर गर्व करने का मौका देते हैं।
भारत मंडपम का यह आयोजन सनातन धर्म की व्यापकता और उसकी प्रभावशीलता का उदाहरण है। यह न केवल भारतीय संस्कृति का सम्मान बढ़ाने का माध्यम बना, बल्कि भारत को विश्व स्तर पर एक सांस्कृतिक शक्ति के रूप में भी प्रस्तुत किया।