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लकड़ी चोर समझ कर उनकी पिटाई की
ढेंकानाल। जिले के कामाख्यानगर पूर्वी रेंज के कांकड़हाडा पुलिस सीमा के अंतर्गत पलासडांगी गांव में मंगलवार को एक परेशान करने वाली घटना सामने आई, जिसमें वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा एक आदिवासी दंपत्ति के खिलाफ कथित हिंसा की गई।
सूत्रों के अनुसार, गांव के आदिवासी दम्पति सदा पधान और ज्योत्सना पधान को गलती से ‘लकड़ी चोर’ समझ लिया गया और बाद में कर्मचारियों ने उनकी पिटाई कर दी।
कथित तौर पर यह जोड़ा अवैध कटाई की गतिविधियों को लक्षित करने वाले एक अभियान के दौरान जंगल में पाया गया था। उन्हें इस अवैध कार्य में शामिल मानते हुए वन कर्मचारियों ने कथित तौर पर पति-पत्नी पर लाठी-डंडों से हमला किया।
कथित हमले में दोनों को गंभीर चोटें आईं, जिसके कारण उन्हें कामाख्यानगर स्वास्थ्य सुविधा में इलाज कराना पड़ा। खबर है कि हमले के कारण सदा पधान की पीठ, जांघों और हाथों पर गहरे घाव हो गए।
संपर्क करने पर घायल सदा प्रधान ने बताया कि हम पति-पत्नी जंगल में लकड़ी इकट्ठा करने गए थे। जब वनकर्मी हमारे पास पहुंचे तो कुछ अन्य लोग पेड़ काट रहे थे। माफिया मौके से भाग गए और उनकी जगह हमें पकड़ लिया गया।
बुजुर्ग व्यक्ति ने आरोप लगाया कि कम से कम चार वन कर्मियों ने हमें बुरी तरह पीटा। आदिवासी महिला ने कहा कि उन्होंने मेरे पति को भी बुरी तरह पीटा और हमें धमकी दी कि अगर हमने उनके आरोप स्वीकार नहीं किए तो वे गंभीर परिणाम भुगतेंगे। न तो वन विभाग और न ही संबंधित रेंज कार्यालय ने इस घटना के बारे में कोई आधिकारिक बयान या सार्वजनिक टिप्पणी जारी की।