भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को और गति मिलने वाली है, क्योंकि राज्य में जल्द ही तीन और रॉयल बंगाल टाइगर लाने की योजना है।
ओडिशा के वन एवं पर्यावरण मंत्री गणेश राम सिंह खटिया ने गुरुवार को जानकारी दी कि इन बाघों को बरगढ़ जिले के देब्रीगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में छोड़ा जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि बाघों के आगमन को लेकर विचार-विमर्श चल रहा है।
सूत्रों के अनुसार, तीन नए बाघों में दो बाघिनें भी शामिल हैं। इन्हें तब लाया जाएगा जब पहले लाए गए बाघ ‘यमुना’ और ‘जीनत’ नई जलवायु में पूरी तरह अभ्यस्त हो जाएंगे। इन बाघों का स्वागत करने के लिए तैयारियां जोरों पर हैं।
मंत्री खटिया ने बताया कि यह निर्णय पूरी सावधानीपूर्वक लिया गया है, जिसका उद्देश्य जैव विविधता को बढ़ावा देना और ओडिशा में बाघ संरक्षण को मजबूत करना है। इस पहल से वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों में राज्य की प्रतिबद्धता झलकती है।
देब्रीगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में इन बाघों को लाने से पहले अभयारण्य के मौजूदा निवासियों का गहन मूल्यांकन किया गया है, ताकि बाघों के लिए एक संतुलित और स्थायी पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सके।
राज्य सरकार वन्यजीव संरक्षण में स्थानीय समुदायों को भी शामिल कर रही है। यह पहल न केवल वन्यजीवों के लिए बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी फायदेमंद साबित होगी।
मंत्री खटिया ने कहा कि हमने पहले ही ओडिशा में दो बाघ लाए हैं। देब्रीगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की जलवायु परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यहां तीन और बाघ लाने की योजना है।
इससे पहले, दिसंबर में पांच बाघों को ओडिशा लाने का निर्णय लिया गया था। हालांकि, पहले आए दो बाघों के बाद योजना थोड़ी देर से आगे बढ़ी। इसमें खासकर बाघिन ‘जीनत’ का उल्लेखनीय योगदान रहा, जिसने सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व से एक लंबी यात्रा की। यह यात्रा तीन राज्यों के वन अधिकारियों के लिए चुनौतीपूर्ण रही और साल के अंत में मीडिया का आकर्षण बनी।
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