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सुशासन दिवस पर रघुवर दास की कार्यशैली चर्चे में

  • गांवों में जनता के बीच पहुंचना और सभी से मिलने की सहजता ने छाप छोड़ी

भुवनेश्वर। पूर्व राज्यपाल रघुवर दास की कार्यशैली सुशासन दिवस के अवसर पर चर्चा का केंद्र बनी हुई है। मंगलवार को राज्यपाल के पद से अचानक इस्तीफा दिये जाने के बाद भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर मनाए जाने वाले इस विशेष दिन पर बुधवार सुबह से ही रघुवर दास के प्रशासनिक कार्यों और सुशासन की नीतियों की जमकर सराहना हो रही है।
अपने कार्यकाल में रघुवर दास ने जनता के लिए योजनाओं को प्राथमिकता दी और सुशासन को सुनिश्चित करने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए। झारखंड में पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार का नेतृत्व करते हुए उन्होंने पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर दिया। उनकी नीतियां जैसे समय पर योजनाओं का कार्यान्वयन, डिजिटल प्रशासन, और भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम आज भी लोगों के बीच प्रशंसा का विषय हैं।
सुशासन दिवस पर विशेषज्ञों ने रघुवर दास की कार्यशैली को सुशासन का मिसाल बताया। सरकारी सेवाओं की पहुंच को ग्रामीण स्तर तक ले जाने, योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और प्रशासनिक सुधार उनके शासनकाल के कुछ प्रमुख पहलू रहे।
लोगों का कहना है कि रघुवर दास ने अपने कार्यकाल में “सबका साथ, सबका विकास” की अवधारणा को साकार किया। उनका लोगों से मिलना और जिलों के दौरे ने जनहितैषी योजनाओं को धरातल पर उतारने और सरकारी मशीनरी में जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन की।
इस्तीफा बना चर्चा का विषय
ओडिशा के राज्यपाल पद से रघुवर दास के अचानक इस्तीफे ने राज्य और देशभर में राजनीति के गलियारों में हलचल मचा दी है। बेहद कम समय में अपनी ईमानदारी और काम के प्रति प्रतिबद्धता के चलते रघुवर दास ने ओडिशा की जनता के दिलों में खास जगह बना ली थी। उनके इस्तीफे की खबर बुधवार सुबह से ही चर्चा का विषय बनी हुई है। रघुवर दास ने शुरू के तीन में राज्य के सभी जिलों का दौरा किया और जनता के साथ सीधा संवाद स्थापित किया। उनकी सादगी और जनहितकारी नीतियों के प्रति उनका दृष्टिकोण लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ गयी। उन्होंने कई मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई की, जिससे उनकी कार्यशैली की व्यापक सराहना हुई।

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