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ओडिशा के सौर ऊर्जा उत्पादन का हब बनने की संभावना
भुवनेश्वर। भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) ने ओडिशा में सौर ऊर्जा, जल ऊर्जा, एथनॉल और नवीकरणीय ऊर्जा निर्माण क्षेत्रों के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं को मंजूरी दी है। यह जानकारी आईआरईडीए के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक प्रदीप कुमार दाश ने सोमवार को ओडिशा सोलर इन्वेस्टर कॉन्क्लेव के दौरान दी।
ग्रिडको और आईफॉरेस्ट (इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी) द्वारा आयोजित इस कॉन्क्लेव में दाश ने ओडिशा के 2030 तक 10 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लक्ष्य की सराहना की।
दाश ने कहा कि ओडिशा सौर ऊर्जा उत्पादन और सौर उपकरण निर्माण का प्रमुख केंद्र बनने की क्षमता रखता है। उन्होंने आईआरईडीए की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कंपनी ने राष्ट्रीय स्तर पर 2.08 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी है और 1.36 लाख करोड़ रुपये वितरित किए हैं। आईआरईडीए उभरती अक्षय ऊर्जा तकनीकों जैसे एथनॉल, ईवी फ्लीट फाइनेंसिंग, पंप्ड स्टोरेज हाइड्रोपावर और ग्रीन अमोनिया के बाजार निर्माण में योगदान दे रही है।
ओडिशा के उपमुख्यमंत्री केवी सिंहदेव ने कहा कि “उत्कर्ष ओडिशा कॉन्क्लेव-2025” से पहले आयोजित यह कॉन्क्लेव अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अक्षय ऊर्जा के प्रति प्रतिबद्ध है। हमारा निवेश माहौल अनुकूल है, और हमारे पास इसे हासिल करने की इच्छाशक्ति है।
ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव विशाल कुमार देव ने कहा कि ओडिशा एक परिवर्तनकारी ऊर्जा संक्रमण के दौर में है। स्वच्छ और किफायती ऊर्जा की मांग जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौती का सामना करने के लिए पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
वर्तमान में, ओडिशा की कुल 2,938 मेगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी 21% है। इसमें 508 मेगावाट ग्राउंड-माउंटेड, 58 मेगावाट रूफटॉप, और 42 मेगावाट ऑफ-ग्रिड सौर क्षमता शामिल है।
ग्रिडको के प्रबंध निदेशक त्रिलोचन पंडा ने कहा कि राज्य में 200 गीगावाट की संभावित अक्षय ऊर्जा क्षमता उपलब्ध है। इसमें फ्लोटिंग सोलर, रूफटॉप सोलर और पीएम कुसुम जैसी योजनाओं से बड़ी हिस्सेदारी आएगी।
आईफॉरेस्ट के अध्यक्ष चंद्र भूषण ने कहा कि ग्रीन एनवायरनमेंट तभी संभव है जब हम ग्रीन इकोनॉमी का निर्माण करें। स्वच्छ ऊर्जा इसकी सबसे बड़ी प्रेरक शक्ति है। आने वाले पांच वर्षों में अक्षय ऊर्जा की क्षमता और बढ़ेगी।