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10 दिन से अधिक हुए बाहर निकले हुए
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पश्चिम बंगाल के बेलपहाड़ी जंगल में लगाया गया है पिंजड़ा
भुवनेश्वर। ओडिशा के सिमिलिपाल से भटककर पश्चिम बंगाल के जंगलों में पहुंची बाघिन जीनत के अपने आप वापस आने की कोई संभावना नहीं दिखने पर उसे बेहोश कर वापस लाने की योजना बनाई जा रही है। यह जानकारी बारिपदा क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक (आरसीसीएफ) प्रकाश चंद गोगिनेनी ने रविवार को दी।
ओडिशा और पश्चिम बंगाल के वन विभाग के अधिकारी जीनत की गतिविधियों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। गोगिनेनी ने बताया कि तीन वर्षीय यह बाघिन स्वस्थ है। जीनत को सिमिलिपाल से बाहर गए 10 दिन से अधिक समय हो चुका है और उसके लौटने का कोई संकेत नहीं है। इसे झारखंड के जंगलों में घूमते देखा गया था और अब यह पश्चिम बंगाल के बेलपहाड़ी जंगल में है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के दिशानिर्देशों के अनुसार, जीनत को तब तक बेहोश नहीं किया जा सकता जब तक वह मानव बस्तियों में न चली जाए या इंसानों और मवेशियों पर हमला न करे।
सूत्रों के अनुसार, जीनत के बेलपहाड़ी जंगल में पर्याप्त शिकार उपलब्ध होने के कारण वह ओडिशा लौटने को इच्छुक नहीं है। इसके बावजूद, ओडिशा वन विभाग के अधिकारी उसे सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व वापस लाने के हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
वन विभाग ने जाली दरवाजे वाले पिंजरे लगाए हैं, जिनमें जाल के दरवाजे और चारा के रूप में मवेशी रखे गए हैं, लेकिन जीनत अभी तक पिंजरे में फंसी नहीं है।
बेलपहाड़ी पश्चिम बंगाल में एक पर्यटक स्थल है, इसलिए सरकार वहां बाघ की उपस्थिति की सूचना देकर पर्यटकों को सतर्क कर रही है। इस बीच, सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व की तीन टीमें और सुंदरवन से एक टीम बाघिन की गतिविधियों की बारीकी से निगरानी कर रही हैं।
गौरतलब है कि बाघिन जीनत और यमुना को महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व से सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र में छोड़ा गया था, ताकि वहां के बाघों में नई आनुवंशिक विविधता लाई जा सके।