-
कहा-23 भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन करने की योजना
-
स्वदेशी भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए 200 चैनल होंगे शुरू
भुवनेश्वर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले एक दशक में क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व को प्रमुखता दी है। उनकी सरकार ने 34 वर्षों में पहली बार इन भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष पोर्टल तैयार किया है। यह जानकारी पुरी सांसद और भाजपा प्रवक्ता संबित पात्र ने बुधवार को दी।
संबित पात्र ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल के दौरान मातृभाषाओं को शिक्षा प्रणाली में शामिल करने के लिए अनेक प्रयास किए गए हैं। इसके तहत एक राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच की स्थापना की गई है, जो मुख्य रूप से अनुवाद कार्यों को सुगम बनाने पर केंद्रित है। साथ ही, तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाने की वकालत की गई है।
उन्होंने यह भी कहा कि कम से कम 23 भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन करने की योजना बनाई गई है। इसके तहत लगभग 22,000 किताबें देश की विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित की जाएंगी। असमिया, बंगाली, पाली, मराठी, तमिल और ओड़िया जैसी भारतीय भाषाओं को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई है, जिससे छात्रों के लिए छात्रवृत्ति के अवसर खुलेंगे।
संबित पात्र ने यह भी बताया कि स्वदेशी भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए 200 चैनल शुरू किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2020-22 के दौरान ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में ‘भारतीय भाषा उत्सव’ मनाने का निर्णय लिया। यह उत्सव हाल ही में 11 दिसंबर को आयोजित किया गया।
उन्होंने आगे बताया कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा विकसित ‘अनुवादिनी’ नामक एक ऐप इस विशेष अवसर पर लॉन्च किया गया। यह ऐप 11 भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने में सक्षम है। इसके अलावा, भारत सरकार का ‘दीक्षा पोर्टल’ कक्षा 1 से 12वीं तक के छात्रों के लिए 33 भाषाओं में शैक्षिक सामग्री प्रदान करता है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इन प्रयासों के माध्यम से भारतीय भाषाओं को नई ऊंचाईयां प्रदान की जा रही हैं।