भुवनेश्वर। पुरी श्रीमंदिर के अंदर के रत्न भंडार की मरम्मत का कार्य 17 दिसंबर से शुरू होगा। इसके बाद बाहर के रत्न भंडार की मरम्मत की जाएगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के उप अधीक्षक चित्तरंजन दास ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
दास ने कहा कि मरम्मत का काम मंदिर प्रशासन की मानक संचालन प्रक्रिय के तहत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह कार्य दोपहर 12:30 बजे से शुरू होकर शाम तक जारी रहेगा।
उन्होंने बताया कि भक्तों के लिए निर्बाध और व्यवस्थित दर्शन सुनिश्चित करना और मरम्मत कार्य के दौरान देवी-देवताओं के रितुओं का पालन करना प्राथमिकता होगी। इस परियोजना की निगरानी दिल्ली से वरिष्ठ एएसआई अधिकारी करेंगे।
उन्होंने कहा कि मरम्मत का कार्य एएसआई के मानकों और विधियों के अनुसार किया जाएगा। एएसआई के सभी तकनीकी कर्मी मरम्मत कार्य में भाग लेंगे और वरिष्ठ अधिकारी इसकी निगरानी करेंगे। हमारी तकनीकी कोर समिति भी समय-समय पर कार्य की निगरानी करेगी। एक बार अंदर के रत्न भंडार को स्थिर करने के बाद हम बाहर के रत्न भंडार की मरम्मत शुरू करेंगे।
इस बीच पुरी के जिलाधिकारी सिद्धार्थ शंकर स्वाईं ने कहा कि रत्न भंडार मरम्मत कार्य के दौरान भक्तों के दर्शन और मंदिर के रितियों की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रकार के व्यवस्थाओं पर एक प्रारंभिक बैठक में चर्चा की जाएगी।
उन्होंने कहा कि रत्न भंडार की मरम्मत कार्य की समाप्ति के बाद भगवान जगन्नाथ के सभी बहुमूल्य सामान, जैसे सोना और अन्य आभूषणों का सूचीकरण शुरू किया जाएगा। भक्तों को ‘बाहरा कथा’ से देवी-देवताओं के दर्शन करने का अवसर मिलेगा।
इससे पहले, पुरी श्रीमंदिर कार्यालय में रत्न भंडार मरम्मत कार्य को लेकर एक प्रारंभिक बैठक आयोजित की गई थी, जिसकी अध्यक्षता श्रीमदिर प्रशासन के उप मुख्य प्रशासक और पुरी कलेक्टर ने की। बैठक में यह चर्चा की गई कि कैसे भक्तों के दर्शन में कोई विघ्न न आए और मरम्मत कार्य के दौरान रितियों को निर्बाध रूप से जारी रखा जा सके। इस बैठक में पुरी के पुलिस अधीक्षक, एएसआई अधिकारी और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित थे।
दास ने कहा कि मरम्मत का काम मंदिर प्रशासन की मानक संचालन प्रक्रिय के तहत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह कार्य दोपहर 12:30 बजे से शुरू होकर शाम तक जारी रहेगा।
उन्होंने बताया कि भक्तों के लिए निर्बाध और व्यवस्थित दर्शन सुनिश्चित करना और मरम्मत कार्य के दौरान देवी-देवताओं के रितुओं का पालन करना प्राथमिकता होगी। इस परियोजना की निगरानी दिल्ली से वरिष्ठ एएसआई अधिकारी करेंगे।
उन्होंने कहा कि मरम्मत का कार्य एएसआई के मानकों और विधियों के अनुसार किया जाएगा। एएसआई के सभी तकनीकी कर्मी मरम्मत कार्य में भाग लेंगे और वरिष्ठ अधिकारी इसकी निगरानी करेंगे। हमारी तकनीकी कोर समिति भी समय-समय पर कार्य की निगरानी करेगी। एक बार अंदर के रत्न भंडार को स्थिर करने के बाद हम बाहर के रत्न भंडार की मरम्मत शुरू करेंगे।
इस बीच पुरी के जिलाधिकारी सिद्धार्थ शंकर स्वाईं ने कहा कि रत्न भंडार मरम्मत कार्य के दौरान भक्तों के दर्शन और मंदिर के रितियों की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रकार के व्यवस्थाओं पर एक प्रारंभिक बैठक में चर्चा की जाएगी।
उन्होंने कहा कि रत्न भंडार की मरम्मत कार्य की समाप्ति के बाद भगवान जगन्नाथ के सभी बहुमूल्य सामान, जैसे सोना और अन्य आभूषणों का सूचीकरण शुरू किया जाएगा। भक्तों को ‘बाहरा कथा’ से देवी-देवताओं के दर्शन करने का अवसर मिलेगा।
इससे पहले, पुरी श्रीमंदिर कार्यालय में रत्न भंडार मरम्मत कार्य को लेकर एक प्रारंभिक बैठक आयोजित की गई थी, जिसकी अध्यक्षता श्रीमदिर प्रशासन के उप मुख्य प्रशासक और पुरी कलेक्टर ने की। बैठक में यह चर्चा की गई कि कैसे भक्तों के दर्शन में कोई विघ्न न आए और मरम्मत कार्य के दौरान रितियों को निर्बाध रूप से जारी रखा जा सके। इस बैठक में पुरी के पुलिस अधीक्षक, एएसआई अधिकारी और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित थे।