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मुख्यमंत्री मोहन माझी ने विधानसभा में दिया बयान
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कहा-भर्ती प्रक्रिया में नहीं थी पारदर्शिता, हर स्तर पर था भ्रष्टाचार
भुवनेश्वर। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन माझी ने शुक्रवार को विधानसभा में ओडिशा सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक 2024 पेश करते हुए बीजद की पिछली सरकार पर तीखा हमला बोला। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि पिछले सरकार ने छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया और भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की कमी के कारण लोकतंत्र को कमजोर किया।
भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के दौरान भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं थी। भ्रष्टाचार हर स्तर पर था। परीक्षा संचालित करने वाले अधिकारी भी प्रश्नपत्र लीक करने वाले रैकेट का हिस्सा होते थे। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 2023 में आयोजित जूनियर इंजीनियर परीक्षा है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सचिवालय में भी अनियमितताएं थीं और असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर (एएसओ) की नौकरियां 25-30 लाख रुपये में बेची जा रही थीं।
छात्रों और परिवारों पर असर
माझी ने कहा कि परिवार अपनी जमीन बेचकर बच्चों की कोचिंग की फीस भरते थे, लेकिन जब नियुक्ति की बात आती, तो उनके सपने चकनाचूर हो जाते। अयोग्य उम्मीदवारों को योग्य बनाकर योग्य उम्मीदवारों के भविष्य को अंधकारमय किया गया। उन्होंने कहा कि इस भ्रष्टाचार के कारण कई छात्रों ने आत्महत्या तक कर ली।
नए विधेयक की आवश्यकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की घटनाएं अब नहीं होंगी। नए विधेयक के तहत धारा 12(1) के तहत दोषियों को सजा मिलेगी और जुर्माना लगेगा। इसके साथ ही धारा 12(2) के तहत संस्थानों का पंजीकरण रद्द और संपत्ति जब्त होगी।
1.5 लाख पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में 1.5 लाख पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी और सभी रिक्तियों को भरा जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष होगी।”
राजनीति गरमाई
मुख्यमंत्री के इस बयान ने राज्य में राजनीतिक बहस को और तेज कर दिया है। मुख्यमंत्री के बयान के बाद बीजद में तल्खी देखने को मिली है और बीजद के नेताओं ने मुख्यमंत्री से सबूत देने को कहा है।
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