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दो वर्षों में 250 से अधिक हादसे, 50 मौतें
बारिपदा। मयूरभंज जिले में बांगिरीपोसी घाट रोड (राष्ट्रीय राजमार्ग-49) को बढ़ती दुर्घटनाओं और मौतों के कारण अब किलर रोड कहा जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, बीते दो वर्षों में इस हाईवे पर 250 से अधिक हादसे हो चुके हैं। इन हादसों में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और 50 से अधिक की जान चली गई है।
इस हाईवे की खराब स्थिति ने इसे लोगों के लिए खौफनाक बना दिया है। मयूरभंज की लाइफलाइन मानी जाने वाली इस सड़क पर इस साल जनवरी में एक बड़ा हादसा हुआ, जब धौली गणनाट्य समूह को ले जा रहा एक ट्रक घाट से नीचे गिर गया। इस दुर्घटना में छह लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।
डराने वाले दृश्य
इस सड़क पर दुर्घटनाग्रस्त वाहनों और खाइयों में गिरे ट्रकों के दृश्य आम हो गए हैं। संकरी सड़कें इसे और अधिक खतरनाक बनाती हैं, जिससे बार-बार दुर्घटनाएं हो रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस सड़क पर रोजाना यात्रा करने वाले लोग भी हर समय डरे रहते हैं। यहां से गुजरना किसी चुनौती से कम नहीं है।
सुरक्षा उपायों का अभाव
बांगिरीपोसी घाट रोड पर बुनियादी सुरक्षा उपायों की कमी है। सड़क पर बैरिकेडिंग नहीं है, दुर्घटना-प्रवण क्षेत्रों को चिह्नित करने वाले संकेतक बोर्ड नहीं हैं और मिट्टी के कटाव का खतरा हमेशा बना रहता है। इससे यात्रियों के लिए यह सड़क किसी बुरे सपने की तरह बन गई है। बावजूद इसके, यह सड़क भारी यातायात का गवाह बनती है, क्योंकि यह मयूरभंज को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है।
हां सभी प्रकार के वाहन आते-जाते हैं, लेकिन सड़क की हालत देखकर कोई भी डर जाएगा। कई लोग इसे देखकर आश्चर्य करते हैं कि इतनी खतरनाक सड़क पर बैरिकेडिंग क्यों नहीं है।
मरम्मत कार्य धीमा
कहा जा रहा है कि इस 9 किलोमीटर लंबे घाट रोड को चौड़ा करने की सख्त जरूरत है। हालांकि, मरम्मत का कार्य शुरू हो चुका है, लेकिन इसकी प्रगति इतनी धीमी है कि स्थानीय लोगों में नाराजगी और डर दोनों बढ़ रहे हैं।
मंत्री भी हालात को लेकर नाराज
मीडिया को दिये गये बयान में ओडिशा के आवास और शहरी विकास मंत्री कृष्ण चंद्र महापात्र ने इस सड़क की स्थिति पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग अधिकारियों और परियोजना निदेशकों को मरम्मत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
मयूरभंज के जिलाधिकारी ने कहा है कि मरम्मत कार्य शुरू किया गया था, लेकिन भूस्खलन के कारण इसे रोकना पड़ा। अब एक समय में एक लेन को बंद कर मरम्मत का काम किया जाएगा। इसके साथ ही, वैकल्पिक मार्गों की भी व्यवस्था की जाएगी।