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सी-फूड का ब्रांड बने ओडिशा – मोदी

  • कहा-पूर्वी क्षेत्र है भारत का इंजन

  • प्रधानमंत्री मोदी ने ओडिशा पर्व में ओडिशा की उपलब्धियों को गिनाया

  • ओडिशा पर्व के विस्तार का किया आह्वान

  • कहा-सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में थे आगे

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा से सी-फूड का ब्रांड बनने का आह्वान करते हुए दिल्ली में आयोजित ओडिशा पर्व 2024 के समापन के अवसर पर ओडिशा की विकासात्मक संभावनाओं और इसके योगदान पर विस्तृत रूप से चर्चा की। उन्होंने ओडिशा और पूर्वी क्षेत्र को भारत के पूर्वी क्षेत्र का इंजन बताते हुए राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे विकास और उसके भविष्य की दिशा की सराहना की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ओडिशा को तीन गुना बजट दिया गया है और राज्य के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम हो रहा है। ओडिशा के पोर्ट आधारित विकास में विशेष संभावनाएं हैं, जिनसे राज्य के समग्र विकास को गति मिल सकती है। उन्होंने स्वर्णरेखा, अस्तरंग, और गोपालपुर जैसे प्रमुख पोर्ट प्रोजेक्ट्स का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ओडिशा स्टील और एनर्जी सेक्टर में भी मजबूत स्थिति में है, जिससे राज्य को एक नई दिशा मिल सकती है।
ओडिशा की कृषि उत्पादकता की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि राज्य में काजू, कपास, हल्दी और तेलहन आदि की पैदावार काफी होती है और इनकी पहुंच बड़े बाजारों तक बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि ओडिशा सी फूड क्षेत्र में बड़ी संभावनाओं से भरा हुआ है, और इसे एक ब्रांड के रूप में स्थापित किया जा सकता है, जिससे यह क्षेत्र निवेशकों के लिए पहली पसंद बन सकता है।
प्रधानमंत्री ने उत्कर्ष उत्कल पहल की तारीफ की, जो ओडिशा के विकास को गति देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि 45 हजार करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी मिल चुकी है, जो राज्य के विकास के लिए अहम साबित होगी। ओडिशा के पास अपना विजन है और इस प्रयास में मुख्यमंत्री मोहन माझी और उनकी टीम की भूमिका की सराहना की।
सशक्त स्थिति और बहुत संभावनाएं
मोदी ने ओडिशा की भौगोलिक स्थिति का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य की लोकेशन के कारण घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचना आसान है। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में ओडिशा के लिए अवसरों में वृद्धि होगी, खासकर टियर 2 श्रेणी के क्षेत्रों में। इसके अलावा, पश्चिम ओडिशा में नई संरचनाओं के निर्माण से नए अवसर पैदा होंगे।
शिक्षा, संस्कृति और धरोहर का उत्थान को बढ़ावा
ओडिशा में शिक्षा के क्षेत्र में कई उत्कृष्ट संस्थान हैं, जो राज्य को शिक्षा के क्षेत्र में लीड लेने में प्रेरित करते हैं। ओडिशा की कला, संस्कृति और धरोहर को बढ़ावा देने के प्रयासों की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने ओडिशी नृत्य, पेंटिंग, संबलपुरी कला और अन्य कला रूपों के प्रसार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने ओडिशा के प्रसिद्ध मंदिरों जैसे कोणार्क और लिंगराज मंदिरों का उदाहरण दिया, जो न केवल वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण हैं, बल्कि ओडिशा की धरोहर और विज्ञान में राज्य के अग्रणी होने का प्रमाण भी हैं। सैकड़ों साल पहले ओडिशा के लोग विज्ञान में आगे थे।
ओडिशा की पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा
प्रधानमंत्री ने ओडिशा की संस्कृति और धरोहर को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने जी20 सम्मेलन में ओडिशा के मंदिरों को प्रमुखता से पेश करने की बात कही और बालियात्रा जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों को लोकप्रिय बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया।
उन्होंने यह भी कहा कि ओडिशा पर्व को दिल्ली तक सीमित न रखते हुए इसे देशभर में फैलाने की आवश्यकता है। यह महोत्सव ओडिशा की संस्कृति, कला, और परंपराओं को देश के कोने-कोने तक पहुंचा सकता है।
प्रवासी भारतीय सम्मेलन से मिलेगा वैश्विक कनेक्शन
प्रधानमंत्री ने ओडिशा में होने वाले प्रवासी भारतीय सम्मेलन का भी उल्लेख किया, जो भुवनेश्वर में आयोजित होगा। यह सम्मेलन ओडिशा को वैश्विक स्तर पर और भी अधिक पहचान दिलाएगा। उन्होंने कहा कि समय के साथ लोग अपनी भाषाओं और परंपराओं को भूल सकते हैं, लेकिन ओडिशा का समाज अपनी संस्कृति और भाषा से गहरे जुड़ा हुआ है। उन्होंने यह उदाहरण भी दिया कि कैसे 200 साल पहले घाना से आए श्रमिक आज भी भारत से जुड़े हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ओडिशा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए कई आयामों पर काम किया जा रहा है। राज्य की सरकार ने कई ठोस कदम उठाए हैं, और आने वाले समय में ओडिशा देश के सबसे अग्रणी राज्यों में से एक बन सकता है।
प्रयासों की सराहना की
प्रधानमंत्री मोदी ने ओडिशा के समृद्ध भविष्य की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इस राज्य को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उनका विश्वास था कि ओडिशा के सांस्कृतिक और विकासात्मक प्रयासों का प्रभाव देश और दुनिया में दूर-दूर तक पहुंचेगा।

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