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ये आरोप बेबुनियाद और तथ्यों पर आधारित नहीं – पूर्व बिजली मंत्री
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कहा-तत्कालीन राज्य सरकार का इस समझौते से कोई लेना-देना नहीं
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अन्य राज्यों से अलग है ओडिशा
भुवनेश्वर। अमेरिका में अडानी समूह पर धोखाधड़ी के मामले में आरोप लगाए जाने के एक दिन बाद बीजद ने उन आरोपों को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली तत्कालीन ओडिशा सरकार के अधिकारियों ने अडानी समूह से रिश्वत ली थी।
अमेरिकी अभियोजकों ने आरोप लगाया है कि 2021 से 2023 के बीच अडानी समूह ने ओडिशा और चार अन्य राज्यों के अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत दी। यह रिश्वत राज्य विद्युत वितरण कंपनियों को महंगी सौर ऊर्जा खरीदने के लिए राजी करने के लिए दी गई, जिससे अडानी समूह को 20 वर्षों में 2 बिलियन डॉलर से अधिक का लाभ हुआ।
बीजद विधायक और पूर्व ऊर्जा मंत्री प्रताप केशरी देव ने कहा कि ये आरोप बेबुनियाद और तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। राज्य सरकार का इस समझौते से कोई लेना-देना नहीं है। यह समझौता केवल ग्रिडको, वितरण कंपनियों और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) के बीच हुआ। राज्य सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं थी।
उन्होंने यह भी कहा कि ओडिशा अन्य राज्यों से अलग है, जहां बिजली वितरण का काम निजीकरण के तहत टाटा पावर द्वारा किया जाता है। अन्य राज्यों में सरकार यह काम करती है, जबकि ओडिशा में वितरण की जिम्मेदारी टाटा पावर संभालता है।
सेईसीआई ने जुलाई 2021 में ओडिशा की वितरण कंपनियों के साथ 500 मेगावाट के लिए समझौता किया था। इसके अलावा, जून 2023 में ग्रिडको के साथ 600 मेगावाट पवन ऊर्जा खरीदने के लिए एक और अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए।
ओईआरसी की मंजूरी से होते हैं सभी बिजली अनुबंध
देब ने कहा कि सभी बिजली अनुबंध ओडिशा इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (ओईआरसी) की मंजूरी से होते हैं, जो एक स्वायत्त संस्था है। उन्होंने स्पष्ट किया कि न तो ऊर्जा मंत्री और न ही सचिव इन समझौतों में शामिल होते हैं।
उल्लेखनीय है कि बीजद सरकार 2000 से लेकर जून 2024 तक सत्ता में रही है। यह मामला राजनीतिक और कानूनी क्षेत्रों में चर्चा का विषय बन गया है, लेकिन बीजद ने इसे राज्य सरकार से जोड़ने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।