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सहकारी संस्थाएं गरीबों और समाज के निचले पायदान पर मौजूद वंचितों की आशा और उम्मीद हैं – मोहन माझी
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कहा- सहकारिता आंदोलन से जुड़े हैं ओडिशा के 50 लाख किसान परिवार
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सहकारी समितियां सरकारी नियमानुसार अनाज उठाव करें, अन्यथा कड़ी कार्रवाई होगी- मुख्यमंत्री
भुवनेश्वर। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने भुवनेश्वर के समवाय भवन परिसर में 71वें अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह समारोह का उद्घाटन किया। यह सहकारिता सप्ताह 14 से 20 नवंबर तक मनाया जा रहा है।
इस अवसर पर उपस्थित विभिन्न सहकारी संघों के सदस्यों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ओडिशा के 2600 से अधिक प्राथमिक सहकारी संगठन सरकार और किसानों के बीच एक सेतु का काम कर रहे हैं। फसल ऋण, फसल बीमा, खाद, बीज, कीटनाशक आदि इनके माध्यम से किसानों तक जाते हैं। इसलिए इन सभी संस्थानों को मजबूत करने की जरूरत है। ये सभी संस्थाएं समाज के अंतिम पायदान पर मौजूद गरीबों और वंचितों की आशा और उम्मीद हैं। आज ओडिशा में 50 लाख से ज्यादा किसान सहकारी आंदोलन से जुड़े हुए हैं। ये सभी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से इन संस्थाओं पर निर्भर हैं। इस सहकारी आंदोलन में मुख्य रूप से किसान, दस्तकार, कारीगर, बुनकर, मछुआरे, दुग्ध उत्पादक जैसे प्राथमिक अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी नागरिक शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्कल गौरव मधुसूदन दास ने सबसे पहले हमारे ओडिशा में सहकारिता की दूरगामी भूमिका को साकार कर सहकारिता की नींव रखी। 1898 में कटक में एक सहकारी स्टोर की स्थापना की गई और फिर 1904 में सहकारी संस्थाओं की स्थापना के लिए पहला अधिनियम बनाया गया। कटक जिला बांकी में सहकारी संस्थाओं का वैधानिक गठन प्रारंभ किया गया।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अगले कुछ हफ्तों के बाद अनाज खरीद का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी सहकारिता विभाग की है। इस वर्ष विभाग के अंतर्गत प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (पीएसीएस) और वृहद जनजातीय बहुउद्देशीय सहकारी समितियां (एलएएमपीसीएस) राज्य में 4,000 से अधिक धान संग्रहण केंद्र संचालित करेंगी। उन्होंने निर्देश दिया कि किसान अपना धान बिना कटनी-छटनी के भी स्वच्छ, सरल एवं कुशल प्रक्रिया से सरकार को बेच सकते हैं तथा 48 घंटे के अंदर धान प्राप्त करना सुनिश्चित करें, अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जायेगी। ओडिशा में कुल फसल ऋण का 60 प्रतिशत से अधिक सहकारी बैंकों के माध्यम से वितरित किया जाता है। पहले से ही आरोप लग रहे हैं कि प्राथमिक सहकारी समितियां किसानों को एवर ग्रीनिंग कराती हैं। इसे रोकने के लिए समितियों के बही-खाते को अद्यतन करना होगा। उन्होंने प्रतिबंधों पर गौर करने के साथ ही सभी प्रक्रियाओं के कम्प्यूटरीकरण का सुझाव दिया।
मुख्यमंत्री ने सहकारिता ध्वज फहराया तथा मार्गदर्शिका पुस्तिका का विमोचन किया।
इस मौके पर अतिथि के रूप में राज्य के सहकारिता, हथकरघा, वस्त्र एवं हस्तशिल्प मंत्री प्रदीप बलसामंत ने कहा कि सहकारिता ग्रामीण विकास का एक सशक्त माध्यम है। राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को विकसित करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। सहकारिता लोगों को आत्मनिर्भर बनाकर सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमारी सरकार सहकारी आंदोलन के माध्यम से समाज के सबसे गरीब व्यक्ति तक विकास का लाभ पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू की गई नई राष्ट्रीय सहकारी नीति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर उपस्थित विभिन्न सहकारी संघों के सदस्यों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ओडिशा के 2600 से अधिक प्राथमिक सहकारी संगठन सरकार और किसानों के बीच एक सेतु का काम कर रहे हैं। फसल ऋण, फसल बीमा, खाद, बीज, कीटनाशक आदि इनके माध्यम से किसानों तक जाते हैं। इसलिए इन सभी संस्थानों को मजबूत करने की जरूरत है। ये सभी संस्थाएं समाज के अंतिम पायदान पर मौजूद गरीबों और वंचितों की आशा और उम्मीद हैं। आज ओडिशा में 50 लाख से ज्यादा किसान सहकारी आंदोलन से जुड़े हुए हैं। ये सभी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से इन संस्थाओं पर निर्भर हैं। इस सहकारी आंदोलन में मुख्य रूप से किसान, दस्तकार, कारीगर, बुनकर, मछुआरे, दुग्ध उत्पादक जैसे प्राथमिक अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी नागरिक शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्कल गौरव मधुसूदन दास ने सबसे पहले हमारे ओडिशा में सहकारिता की दूरगामी भूमिका को साकार कर सहकारिता की नींव रखी। 1898 में कटक में एक सहकारी स्टोर की स्थापना की गई और फिर 1904 में सहकारी संस्थाओं की स्थापना के लिए पहला अधिनियम बनाया गया। कटक जिला बांकी में सहकारी संस्थाओं का वैधानिक गठन प्रारंभ किया गया।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अगले कुछ हफ्तों के बाद अनाज खरीद का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी सहकारिता विभाग की है। इस वर्ष विभाग के अंतर्गत प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (पीएसीएस) और वृहद जनजातीय बहुउद्देशीय सहकारी समितियां (एलएएमपीसीएस) राज्य में 4,000 से अधिक धान संग्रहण केंद्र संचालित करेंगी। उन्होंने निर्देश दिया कि किसान अपना धान बिना कटनी-छटनी के भी स्वच्छ, सरल एवं कुशल प्रक्रिया से सरकार को बेच सकते हैं तथा 48 घंटे के अंदर धान प्राप्त करना सुनिश्चित करें, अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जायेगी। ओडिशा में कुल फसल ऋण का 60 प्रतिशत से अधिक सहकारी बैंकों के माध्यम से वितरित किया जाता है। पहले से ही आरोप लग रहे हैं कि प्राथमिक सहकारी समितियां किसानों को एवर ग्रीनिंग कराती हैं। इसे रोकने के लिए समितियों के बही-खाते को अद्यतन करना होगा। उन्होंने प्रतिबंधों पर गौर करने के साथ ही सभी प्रक्रियाओं के कम्प्यूटरीकरण का सुझाव दिया।
मुख्यमंत्री ने सहकारिता ध्वज फहराया तथा मार्गदर्शिका पुस्तिका का विमोचन किया।
इस मौके पर अतिथि के रूप में राज्य के सहकारिता, हथकरघा, वस्त्र एवं हस्तशिल्प मंत्री प्रदीप बलसामंत ने कहा कि सहकारिता ग्रामीण विकास का एक सशक्त माध्यम है। राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को विकसित करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। सहकारिता लोगों को आत्मनिर्भर बनाकर सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमारी सरकार सहकारी आंदोलन के माध्यम से समाज के सबसे गरीब व्यक्ति तक विकास का लाभ पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू की गई नई राष्ट्रीय सहकारी नीति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
संभागीय आयुक्त एवं प्रशासनिक सचिव राजेश प्रभाकर पाटिल ने कहा कि राज्य में किसानों और कृषि के विकास में सहकारी समितियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और नई सरकार के बाद विभाग द्वारा उठाए गए विभिन्न कल्याणकारी कदमों की जानकारी दी।
कार्यक्रम में ओडिशा राज्य सहकारी संघ की अध्यक्ष प्रवासिनी षाड़ंगी ने स्वागत भाषण दिया और सहकारी समिति आयुक्त पीके पटनायक ने धन्यवाद ज्ञापित किया।