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प्रवासी श्रमिकों के लिये भोजन किया वितरित
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कहा-प्रवासी श्रमिकों की देखभाल करना राष्ट्रीय दायित्व
कटक. उद्योगपति, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रसिद्ध वन्यजीव फोटोग्राफर अविनाश खेमका ने कोरोना को लेकर जारी लाकडाउन के दौरान गरीब और जरूरमंदों की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है. कटक, खुर्दा टांगी,चौदवार और बारीपदा में प्रवासी श्रमिकों के साथ-साथ इस रास्ते से अपने गांवों को जा रहे प्रवासी लोगों के बीच वह भोजन के पैकेट और पानी उपलब्ध करा रहे हैं. श्री अविनाश खेमका ने कहा कि 24 मार्च 2020 को अचानक लांकडाउन हुई घोषणा के कारण जो जहां के तहां फस कर रह गए. उनके ठेकेदारों एवं मालिकों ने हाथ खींच लिया. उन्हें मजदूरी-वेतन देना बंद कर दिया. श्रमिकों के पास जो भी पैसे थे, उससे उन्होंने 25 से 30 दिनों तक जैसे-तैसे गुजारा किया. उसके बाद पैसे एवं धैर्य दोनों खत्म हो गए. वह जहां किराए के मकानों में रहते थे, वहां पर घर मालिकों ने उन्हें निकाल दिया. वहां के स्थानीय लोगों ने भी उन प्रवासी श्रमिकों के साथ जानवर जैसा बर्ताव किया. सब तरफ से परेशान होकर श्रमिक अपने गांव लौटने को मजबूर हो गए. उनके पास खाने को भी पैसे नहीं थे. बस एवं रेल सेवा बंद थी. कुछ हजारों किलोमीटर की सफर में पैदल निकल लिये.
इन सभी श्रमिक भाइयों की मदद के लिए 13 मई से आज तक प्रतिदिन 1500 से 2500 श्रमिकों के बीच खाना वितरण किया जा रहा है. यह व्यक्तिगत तौर पर अपनी सेवा दे रहे हैं. प्रतिदिन खेमका एवं उनके कर्मचारी खाने के पैकेट बनाते हैं और प्रातः 5:30 से 8:30 तक कटक के निकट टांगी में राष्ट्रीय राजमार्ग पर खड़े होकर वहां से गुजरने वाले श्रमिकों को रोककर खाना खिलाते हैं. पानी पिलाते हैं. प्रत्येक खाने के पैकेट में 500 ग्राम चूड़ा, 150 ग्राम चीनी, एक पैकेट सूखा दूध, एक अचार पाउच, एक ओआरएस पावडर पाउच, सौ ग्राम के दो बिस्किट पैकेट, एक लीटर पानी का बोतल, एक मास्क और एक लाइफबॉय साबुन प्रदान कर रहे हैं. अविनाश खेमका के सेवा कार्यों को देख कर शहर के लोग उन्हें कोरोना योद्धा के रूप में देख रहे हैं.