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बालेश्वर में चक्रवात की तबाही के बीच लहराता रहा तिरंगा
हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर।
ओडिशा के बालेश्वर जिले के सदर उपखंड के सारगांव के साउं इलाके में भीषण चक्रवात डाना की भीषण तबाही के बीच तिरंगा एक अडिग प्रतीक बनकर लहराता रहा। इस क्षेत्र में चक्रवात के प्रचंड झोंकों ने बिजली के खंभों और विशालकाय वृक्षों को जड़ से उखाड़ दिया, लेकिन इन सबके बीच तिरंगा अपने स्थान पर गर्व के साथ लहराता रहा।
ऐसा प्रतीत होता है कि चक्रवात का प्रचंड प्रभाव भी इसे डिगा नहीं पाया। यह दृश्य देशभक्ति की एक मिसाल बन गया, जिसने सबके दिलों में गर्व की भावना पैदा की।
बिजली के पोल से बंधा था तिरंगा
इस तस्वीर में देखा जा सकता है कि एक डंडे में लगा तिरंगा बिजली के पोल पर बंधा हुआ है। भीषण चक्रवात डाना की तेज हवा के कारण बिजली का पोल तो गिरा है, वहीं दो विशालकाय पेड़ भी उखड़कर गिरे हैं, लेकिन पोल पर बंधा तिरंगा लहरा रहा है।
जिले में औसतन 73.83 मिमी बारिश
बालेश्वर जिले में भीषण चक्रवात के कारण 73.83 मिमी बारिश हुई थी। जिले के बास्ता में 26 मिमी, जलेश्वर में 11 मिमी, बलियापाल 3 मिमी, बालेश्वर में 73 मिमी, रेमुणा में 40 मिमी, नीलगिरि में 94 मिमी, सोरो में 74 मिमी, बाहनगां में 78, सिमुलिया में 94, खैरा में 177 मिमी, आउपड़ा में 216 मिमी बारिश हुई है।
राष्ट्रीय गौरव, एकता और संकल्प का प्रतीक
तिरंगा हमारे लिए मात्र एक झंडा नहीं है, बल्कि यह हमारे राष्ट्रीय गौरव, एकता और संकल्प का प्रतीक है। चक्रवात जैसी विपरीत परिस्थितियों में भी तिरंगे का मजबूती से लहराते रहना, भारत के अदम्य साहस और शक्ति की झलक प्रस्तुत करता है। यह मानो संदेश दे रहा है कि चाहे कितनी भी कठिन परिस्थितियां आ जाएं, हमारा हौसला और दृढ़ता अटल रहेगी।
विपरीत परिस्थितों में हौसला बढ़ाया
ओडिशा के लोग प्राकृतिक आपदाओं से एकजुटता के साथ निपटते हैं। इस अडिग तिरंगे ने लोगों के हौसलों को बढ़ाया है। यह तिरंगा हमें अपने देश के प्रति समर्पण और अटूट प्रेम की याद दिलाता है। जिस प्रकार चक्रवात भी इसे नहीं हिला सका, उसी प्रकार हमारे देश के वीर सपूत और नागरिक किसी भी संकट के सामने न झुकने की प्रेरणा लेते हैं। इस घटना ने एक बार फिर से तिरंगे के प्रति लोगों का आदर और सम्मान बढ़ाया है और हर भारतीय के मन में गर्व की भावना जाग्रत की है।
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