Home / Odisha / भौतिकता और आध्यात्मिकता में संतुलन अनिवार्य – बीके उषा दीदी
USHA USHA DIDI-01 भौतिकता और आध्यात्मिकता में संतुलन अनिवार्य – बीके उषा दीदी

भौतिकता और आध्यात्मिकता में संतुलन अनिवार्य – बीके उषा दीदी

  • कहा- आध्यात्मिकता से प्राप्त होता है आंतरिक संतोष और स्थायी सुख

  • प्रसन्नचित् जीवन के लिए योग और स्वप्रबंधन महत्वपूर्ण

भुवनेश्वर। मनुष्य के भागदौड़ भरे जीवन में भौतिकता और आध्यात्मिकता के बीच संतुलन जरूरी है। जीवन में स्थायी आनंद और शांति के लिए यह आवश्यक है। भौतिक सुख अस्थायी होते हैं, जबकि आध्यात्मिकता से आंतरिक संतोष और स्थायी सुख प्राप्त होता है। भौतिक चीजें हमें अस्थायी सुख और आराम देती हैं, लेकिन यह आनंद स्थायी नहीं होता। इसके विपरीत, आध्यात्मिकता से आंतरिक शांति और संतोष मिलता है जो व्यक्ति को दीर्घकालिक सुख की अनुभूति कराता है। भौतिकता जीवन के बाहरी पहलुओं पर केंद्रित होती है, जबकि आध्यात्मिकता आंतरिक विकास और आत्मा की शांति पर ध्यान देती है। जीवन में दोनों के बीच सही संतुलन से ही व्यक्ति स्थायी संतोष प्राप्त कर सकता है। यह संतुलन हमें मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त बनाता है, जिससे जीवन की चुनौतियों का सामना आसानी से किया जा सकता है।

मारवाड़ी युवा मंच भुवनेश्वर के सौजन्य से तेरापंथ भवन में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में माउण्ट आबू से पधारी अन्तर्राष्ट्रीय प्रेरणादायी प्रवक्ता ब्रह्माकुमारी उषा दीदी ने उक्त बातें कहीं। इस दौरान उषा दीदी ने मस्तिष्क शक्ति के विकास और मानसिक संतुलन बनाये रखने पर गहन और प्रेरणादायक प्रवचन दिया। इस आयोजन में बड़ी संख्या में श्रोताओं ने भाग लिया और लगभग डेढ़ घंटे तक चले प्रवचन का लाभ उठाया।

उषा दीदी ने श्रीमद्भागवत के आध्यात्मिक सिद्धांतों पर आधारित अपने प्रवचन में बताया कि जीवन में संतुलन के लिए भौतिकता और आध्यात्मिकता दोनों का तालमेल आवश्यक है।

इस दौरान उन्होंने भौतिकता और आध्यामिकता के तालमेल से मिलने वाले फायदे, मन की शांति और आनंद के लिए मेडिटेशन और योग के बारे में प्रकाश डाला।

मन को मित्र बनाएं

उन्होंने कहा कि आज लोग मन की शांति खोजते हैं, क्योंकि मन ही हमारा शत्रु बन गया है। यह भटकता रहता है, जिससे हमें शांति नहीं मिलती है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच के साथ जीवन जीने से मन हमारा मित्र बन जाता है और जीवन की कठिनाइयां हल्की हो जाती हैं। सकारात्मकता से मन में उमंग, आशा और शांति का भाव पैदा होता है, जो हमें सफलताएं हासिल करने में मदद करता है। इसके विपरीत, नकारात्मक सोच से मन शत्रु बन जाता है और दुख, अशांति और निराशा का कारण बनता है। नकारात्मक विचार व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं, जिससे जीवन की चुनौतियां कठिन लगने लगती हैं। इसलिए, मन को मित्र बनाकर सकारात्मक सोच को अपनाना आवश्यक है ताकि जीवन सरल और सुखद हो सके।

मेडिटेशन द्वारा हीलिंग

उन्होंने कहा कि ध्यान (मेडिटेशन) के माध्यम से व्यक्ति मन, आत्मा और शरीर को शांति और ऊर्जा प्रदान कर सकता है। यह आंतरिक हीलिंग (चिकित्सा) का एक प्रभावी साधन है, जो मानसिक और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। हीलिंग का अर्थ है किसी मानसिक, शारीरिक या भावनात्मक चोट या बीमारी से उबरना या उपचार पाना। ध्यान के दौरान व्यक्ति अपने भीतर गहराई से जुड़ता है, जिससे तनाव और नकारात्मकता कम होती है और मानसिक शांति मिलती है। यह प्रक्रिया शरीर और मस्तिष्क को पुनर्जीवित करने का कार्य करती है, जिससे आत्मिक शांति और संतुलन महसूस होता है।

भाषा और बॉडी लैंग्वेज में तालमेल जरूरी

एक उदाहरण के जरिए उन्होंने संदेश दिया कि संवाद में भाषा और बॉडी लैंग्वेज का सही तालमेल आवश्यक है, क्योंकि दोनों के बीच असंगति से भ्रम और गलतफहमियां उत्पन्न हो सकती हैं। जब व्यक्ति की कही गई बात और उसके शरीर के हाव-भाव एक दूसरे के अनुरूप नहीं होते, तो श्रोता के लिए संदेश को सही ढंग से समझना मुश्किल हो जाता है। यह संचार में अविश्वास और भ्रम की स्थिति पैदा कर सकता है। इसलिए, स्पष्ट और प्रभावी संवाद के लिए जरूरी है कि शब्दों और बॉडी लैंग्वेज के बीच सामंजस्य हो, जिससे संदेश सटीक रूप से सामने वाले तक पहुंचे और संवाद का उद्देश्य सफल हो।

कई विभुतियां सम्मानित
इस कार्यक्रम का आयोजन मारवाड़ी युवा मंच भुवनेश्वर द्वारा किया गया, जिसमें मंच के अध्यक्ष हरीश अग्रवाल ने अपनी पत्नी के साथ दीदी का स्वागत किया। इस दौरान युवा मंच के पूर्व अध्यक्षों के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देने वाली विभुतियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में युवा आकाश झुनझुनवाला ने उषा दीदी का परिचय देते हुए बताया कि ब्रह्माकुमारी उषा दीदी का जन्म अफ्रीका के जांबिया में हुआ। 1974 में वे ब्रह्माकुमारी संस्था के संपर्क में आईं और तब से वे इसके साथ जुड़ी हुई हैं। राजयोग के माध्यम से उन्होंने अपने जीवन में आध्यात्मिकता को धारण किया और आज माउंट आबू स्थित ब्रह्मा कुमारी संस्था के मुख्यालय में सेवा दे रही हैं। हाल ही में उन्हें विक्रमशीला हिंदी विद्यापीठ द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है।

कार्यक्रम के अंत में वीरेंद्र बेताला ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस मौके पर मारवाड़ी युवा मंच की टीम के सदस्यों साथ-साथ युवा साकेत अग्रवाल, सीए संजय अग्रवाल, सीए अनिल अग्रवाल, भाजपा नेता उमेश खंडेलवाल, अक्षय खंडेलवाल आदि उपस्थित थे। इस आयोजन की सफलता के लिए अध्यक्ष हरीश अग्रवाल ने अपनी टीम के सभी सदस्यों के प्रति आभार जताया।

Share this news

About desk

Check Also

बंगाल की खाड़ी के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बना

भुवनेश्वर में सीजन में पहली बार पारा 16 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिरा 27 से …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *