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विकास के अद्वितीय प्रहरी के रूप में स्थापित किये कई संयंत्र
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राज्य सरकार के साथ मिलकर जगा मिशन को दी गति
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गरीब और भूमिहीन लोगों की जिंदगी में रखी सबसे बड़े बदलाव की नींव
भुवनेश्वर। टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने ओडिशा के विकास और यहां के लोगों की जमीनी स्तर पर जीविका को बदलने का सपना देखा था। उन्होंने ओडिशा के विकास के अद्वितीय प्रहरी के रूप में राज्य में कई संयंत्र स्थापित किये और राज्य सरकार के साथ मिलकर जगा मिशन को गति दी। इसके जरिए उन्होंने राज्य में गरीब और भूमिहीन लोगों की जिंदगी में सबसे बड़े बदलाव की नींव रखी।
रतन टाटा एक ऐसा नाम है, जो न केवल उद्योग जगत में, बल्कि मानवीय सेवाओं और सामाजिक सुधारों में भी अमर रहेगा।
ओडिशा के गरीब और भूमिहीन लोगों की जिंदगी में सबसे बड़ा बदलाव तब आया, जब रतन टाटा ने 2008 में ओडिशा सरकार के साथ मिलकर जगा मिशन को गति दी। इस मिशन का उद्देश्य राज्य के झुग्गीवासियों को स्थायी घर उपलब्ध कराना था। रतन टाटा ने यह समझा कि किसी भी व्यक्ति के लिए छत का महत्व कितना होता है। उन्होंने अपनी सोच से न केवल उद्योगों को ऊंचाई पर पहुंचाया, बल्कि उन लोगों का भी ध्यान रखा, जिनके पास जीने के बुनियादी साधन नहीं थे।
उनकी इसी दूरदर्शिता का परिणाम था कि हजारों परिवारों को एक स्थायी छत मिली, जिससे उनके जीवन की दिशा बदल गई। रतन टाटा का यह योगदान केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर जीवन को बदलने की एक सच्ची मिसाल थी।
गोपालपुर और कलिंगनगर में संयंत्र स्थापित की
ओडिशा के औद्योगिक विकास में भी रतन टाटा का विशेष योगदान रहा। साल 1995 में जब गोपालपुर इस्पात संयंत्र की आधारशिला रखी गई थी, तब रतन टाटा की यह सोच थी कि औद्योगिक विकास के साथ-साथ राज्य के लोगों के जीवनस्तर में भी सुधार हो। इसके बाद में कलिंगनगर में इस्पात संयंत्र ने राज्य को औद्योगिक नक्शे पर महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।
स्थानीय समुदायों के जीवन को सुधारने पर फोकस
रतन टाटा की सोच केवल उद्योग स्थापित करने तक सीमित नहीं थी, बल्कि उनकी दृष्टि थी कि उद्योगों के माध्यम से स्थानीय समुदायों के जीवन को सुधारा जाए। कलिंगनगर में संयंत्र के जरिए जहां ओडिशा की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली, वहीं स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार और विकास के नए अवसर भी खुले।
ओडिशा के प्रति रतन टाटा की निष्ठा
1999 के सुपर साइक्लोन और 2019 के फनी तूफान के बाद जब ओडिशा को आपदा का सामना करना पड़ा, तो रतन टाटा और उनकी टाटा ट्रस्ट ने तुरंत राहत कार्यों के लिए हाथ बढ़ाया। टाटा समूह की मानवीय सेवाओं ने राज्य को न केवल संकट से बाहर निकाला, बल्कि यह साबित किया कि रतन टाटा जैसे उद्योगपति मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि रखते हैं।
पट्टाधारकों के लिए यादगार रही मुलाकात
गंजाम जिले के कविसूर्यनगर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में रतन टाटा ने भूमिहीन परिवारों को भूमि का पट्टा सौंपा था। उस कार्यक्रम में गायत्री बेहरा, जो उस समय भूमिहीन थीं, को जब रतन टाटा ने भूमि का पट्टा दिया, तो उनके जीवन में एक नया अध्याय शुरू हुआ। गायत्री आज भी उस पल को याद करती हैं और कहती हैं कि रतन टाटा ने मेरे जैसे न जाने कितने लोगों की जिंदगी बदली है। उनके जाने का दुख गहरा है, लेकिन उनकी सीख और उनकी उदारता हमेशा हमारे दिलों में रहेगी।
टाटा को श्रद्धांजलि अर्पित
भारत के प्रतिष्ठित उद्योगपति पद्म विभूषण रतन टाटा के निधन के बाद टाटा स्टील कलिंगनगर ने गुरुवार को एक श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया। यह समारोह टाटा स्टील कलिंगनगर के संयंत्र परिसर में स्थित टीएसके सेंटर में संपन्न हुआ, जिसमें राजीव कुमार, उपाध्यक्ष (ऑपरेशंस), रवींद्र जमुदा, अध्यक्ष, टाटा स्टील कलिंगनगर श्रमिक संघ, वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे। सभी ने रतन टाटा के देश के प्रति उनके अद्वितीय योगदान को नमन किया।
विजन को आगे बढ़ेगा कलिंगनगर संयंत्र
बताया गया है कि रतन टाटा ने सदैव नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं, नवाचार और सामाजिक जिम्मेदारी पर जोर दिया। शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास में उनके योगदान ने देशभर में अनगिनत जिंदगियों को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया। टाटा ट्रस्ट्स की स्थापना, जो स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका के क्षेत्रों में काम करता है, उनके राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पण का साक्षी है। टाटा स्टील कलिंगनगर उनके विजन को आगे बढ़ाते हुए नैतिकता, सामुदायिक विकास और सतत विकास को प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध है।