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हार के बाद बौखलाए नवीन पटनायक ने बदली रणनीति

  • ममता बनर्जी की तरह अपनाया आक्रामक रूख

हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर।

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, जो अपनी शांत और स्थिर राजनीति के लिए जाने जाते थे, अब एक आक्रामक नेता के रूप में उभर रहे हैं। हाल के चुनावी नतीजों और पार्टी के भीतर असंतोष के बीच, नवीन पटनायक की रणनीति में एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। यह बदलाव हाल ही में तब सामने आया जब बीजद (बीजू जनता दल) ने पूर्व उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू के दौरे को लेकर गंभीर आरोप लगाए। बीजद ने आरोप लगाया कि नायडू के दौरे के पीछे राजनीतिक कारण थे और यह दौरा ओडिशा राजभवन को एक राजनीतिक केंद्र बनाने की साजिश का हिस्सा है।

यह नवीन पटनायक का एक नया अवतार माना जा रहा है, जो हमेशा एक शांत और संतुलित नेता के रूप में उभरे थे। राजनीति में आक्रमकता उनकी नहीं थी, लेकिन अब वह आक्रामक राजनीति करते नजर आ रहे हैं।

यह बदलाव पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की शैली से मिलता-जुलता प्रतीत होता है, जो अक्सर अपने प्रतिद्वंद्वियों पर तीखे हमले करती हैं और संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाती रहती हैं।

संवैधानिक पद पर सवाल उठाने से हलचल

नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजद ने जिस तरह से पूर्व उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू के दौरे पर सवाल उठाए हैं, उससे ओडिशा के राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। बीजद ने आरोप लगाया कि वैंकेया नायडू और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का राजभवन दौरा केवल शिष्टाचार नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक राजनीतिक मंशा थी। इस तरह के आरोपों से यह साफ है कि बीजद अब एक नए आक्रामक राजनीति के रास्ते पर चल पड़ी है। पहले जहां नवीन पटनायक राजनीति से अलग संवैधानिक पदों की गरिमा को बरकरार रखते थे, वहीं अब उनकी पार्टी ऐसे पदों को भी राजनीति में खींच रही है।

क्या बदल रही है नवीन की छवि?

नवीन पटनायक की छवि एक ऐसे नेता की रही है, जो राजनीति में अपनी शांति और संतुलित दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध हैं। पिछले दो दशकों से उन्होंने ओडिशा में एक स्थिर राजनीति की दिशा तय की। उनके नेतृत्व में बीजद ने लगातार चुनावों में जीत हासिल की और वह राज्य के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्यमंत्री बन गए, लेकिन हाल के चुनावी परिणामों में बीजद को झटका लगा है। अब नवीन पटनायक की सरकार पर आरोपों की बौछार हो रही है। यही कारण हो सकता है कि नवीन पटनायक ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और अब वह ममता बनर्जी की तरह आक्रामक राजनीति अपना रहे हैं।

आंतरिक संघर्ष हो सकते हैं कारण

विश्लेषकों का मानना है कि इस बदलाव के पीछे ओडिशा में भाजपा की बढ़ती पकड़ और बीजद के आंतरिक संघर्ष हो सकते हैं। पटनायक को शायद अब यह एहसास हो गया है कि शांति और संतुलन की राजनीति से अब काम नहीं चलने वाला है और उन्हें अब आक्रामक तरीके से विपक्ष पर हमला करना पड़ेगा।

राजनीतिक समीकरणों में बदलाव

ओडिशा में राजनीतिक समीकरण लगातार बदल रहे हैं। भाजपा ने पिछले कुछ सालों में राज्य में अपनी जड़ें मजबूत की है और राज्य में उसका प्रभाव बढ़ रहा है। भाजपा के आक्रामक प्रचार और केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी होने के कारण बीजद को अब एक नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। कहा जा रहा है कि अब सत्ता में रहने ने कारण बीजद को कभी ऐसी चुनौतियां नहीं मिलीं, जैसी अब उसको मिल रही हैं। इससे बीजद में बौखलाहट देखने को मिल रही है।

विश्लेषण और भविष्य की रणनीति

नवीन पटनायक के इस आक्रामक रुख को देखकर यह कहा जा सकता है कि वह अब राज्य में अपनी राजनीतिक पकड़ को और मजबूत करना चाहते हैं। इसके लिए वह ममता बनर्जी की तरह संवैधानिक पदों और विपक्ष पर तीखे हमले कर रहे हैं। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि बीजद प्रमुख हार के कारणों की समीक्षा के परिणामों को आत्मसात करने को तैयार नहीं हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि पटनायक की यह नई रणनीति बीजद के लिए कितनी सफल साबित होती है। क्या यह बीजद की आक्रामक राजनीति उनकी छवि को और नुकसान पहुंचेगा?

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