-
वाणिज्य एवं परिवहन तथा इस्पात एवं खान मंत्री विभूति भूषण जेना ने केंद्र से मांगा सहयोग
-
20वीं समुद्री राज्य विकास परिषद में लिया भाग
-
एक प्रमुख बंदरगाह, क्रूज टर्मिनल और मरीना के विकास पर दिया जोर
भुवनेश्वर। वाणिज्य एवं परिवहन तथा इस्पात एवं खान मंत्री विभूति भूषण जेना ने ओडिशा में बंदरगाहों, समुद्री अवसंरचना के विकास और विश्व स्तरीय समुद्री संस्थान या विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए केंद्र से समर्थन और सहयोग मांगा है। जेना ने गोवा में भारत सरकार के बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय के तहत 20वीं समुद्री राज्य विकास परिषद में लेते हुए केन्द्र सरकार से यह अनुरोध किया।
इस बैठक में जेना ने भारत के व्यापक समुद्री दृष्टिकोण के अनुरूप अपने समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए ओडिशा की प्रतिबद्धता की पुष्टि की और केंद्र सरकार और सभी हितधारकों से पूर्ण सहयोग का आह्वान किया।
मंत्री जेना ने अपने समुद्री अवसंरचना को बदलने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। समुद्री क्षेत्र में स्थिरता के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने अपने संबोधन में मंत्रालय के समक्ष राज्य की मांगें रखीं। उन्होंने कहा कि ओडिशा अपनी पहलों को भारत सरकार के हरित नौका दिशानिर्देशों के अनुरूप कर रहा है, जिसमें चिल्का झील में 20 सीटों वाली सौर-इलेक्ट्रिक नाव की शुरूआत भी शामिल है। राज्य ने उत्सर्जन को कम करने और हरित ईंधन को बढ़ावा देने के लिए 2,696 पंजीकृत नौकाओं को सौर विद्युत हाइब्रिड नौकाओं में बदलने की भी योजना बनाई है। जेना ने ओडिशा के 480 किलोमीटर के समुद्र तट का लाभ उठाने और पूर्वी तट पर पर्यटन और समुद्री संपर्क को बढ़ाने के लिए एक प्रमुख बंदरगाह, क्रूज टर्मिनल और मरीना के विकास के लिए मंत्रालय का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने मछली पकड़ने के बंदरगाहों, जेटी के विकास का भी प्रस्ताव रखा और अंतर्देशीय जहाजों के लिए हरित ईंधन में बदलाव के लिए सहायता मांगी। उन्होंने कुशल मानव संसाधन तैयार करने के लिए राज्य में एक विश्व स्तरीय अत्याधुनिक समुद्री संस्थान या विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया। बैठक में सदस्य राज्यों के मंत्रियों और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। ओडिशा सरकार के वाणिज्य और परिवहन विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती उषा पाढ़ी भी उपस्थित थीं।