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आईपीएस आशीष सिंह और डीएस कुटे की मुश्किलें बढ़ीं

  • गृह विभाग ने उनके खिलाफ जांच शुरू करने की प्रक्रिया शुरू की

  • 30 दिनों में जबाव तलब, नहीं तो होगी एकतरफा सुनवाई

भुवनेश्वर। आईपीएस अधिकारी आशीष सिंह और डीएस कुटे की मुश्किलें बढ़ गई हैं। गृह विभाग ने उनके खिलाफ जांच शुरू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। गृह विभाग ने शुक्रवार को जानकारी दी कि 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान ओडिशा में कर्तव्य के प्रति गंभीर लापरवाही के आरोपों के तहत दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों, डीएस कुटे और आशीष कुमार सिंह, के खिलाफ जांच का प्रस्ताव रखा गया है।

ये आईपीएस अधिकारी, जो अब गृह विभाग में विशेष ड्यूटी पर तैनात हैं, को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और उन्हें 30 दिनों के भीतर अपने बचाव में लिखित बयान जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। यदि वे इस अवधि के भीतर अपने लिखित उत्तर जमा नहीं करते या जांच अधिकारियों के समक्ष पेश नहीं होते हैं, तो उनके खिलाफ जांच एकतरफा घोषित की जाएगी।

कुटे को नवीन पटनायक के 24 साल के शासन के अंतिम वर्षों के दौरान ओडिशा में शक्ति के केंद्र में शामिल माना जाता था, जो जून 2024 में समाप्त हुआ। उन पर और सिंह पर राज्य में चुनाव प्रक्रिया में अनुचित हस्तक्षेप करने का आरोप है।

कुटे, जो मुख्यमंत्री कार्यालय में विशेष सचिव के रूप में कार्यरत थे, को 25 मई को खुर्दा विधानसभा सीट के लिए भाजपा उम्मीदवार प्रशांत जगदेव द्वारा ईवीएम की कथित तोड़फोड़ के बाद चुनाव आयोग ने 28 मई को निलंबित कर दिया था। उनका निलंबन 6 जून को रद्द कर दिया गया था और उन्हें 15 जुलाई को गृह विभाग में विशेष ड्यूटी पर तैनात किया गया।

आईपीएस अधिकारी डीएस कुटे के खिलाफ आरोप यह भी है कि उन्होंने आम चुनाव 2024 के दौरान चुनाव से संबंधित अधिकारियों के काम में अनुचित रूप से हस्तक्षेप किया था, खासकर जब ईसीआई द्वारा जारी आदर्श आचार संहिता लागू थी। राज्य स्तरीय मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति (एमसीएमसी) ने चुनावी नियमों का उल्लंघन करते हुए एक राजनीतिक दल के अखबारी विज्ञापन को मंजूरी दे दी थी। कुटे ने 24 मई, 2024 को देर शाम एमसीएमसी के अतिरिक्त सीईओ और चेयरमैन को बार-बार फोन करके विज्ञापन की मंजूरी पर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने उनसे तुरंत मंजूरी वापस लेने को भी कहा ताकि 25 मई, 2024 को विज्ञापन प्रकाशित न हो सके। उन्होंने तत्कालीन जिला निर्वाचन अधिकारी और खुर्दा के कलेक्टर चंचल राणा और पुलिस अधिकारियों को चुनाव तिथि यानी 25 मई 2024 को चुनाव लड़ रहे एक उम्मीदवार को गिरफ्तार करने के लिए भी कहा था।

अप्रैल में चुनाव आयोग ने सिंह को केंद्रीय रेंज के आईजी से गैर-चुनाव संबंधित पोस्ट पर हटा दिया, जिसके बाद उन्हें आईजी (सीएम सुरक्षा) के रूप में तैनात किया गया। जून में उन पर स्वास्थ्य से संबंधित तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने के आरोप में कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। भाजपा ने शिकायत की थी कि वे बीजद के पक्ष में काम कर रहे हैं। इस पर उन्हें बीमार अवकाश (4 मई से 2 जून) पर होने के बावजूद एम्स-भुवनेश्वर के बोर्ड के सामने स्वास्थ्य जांच के लिए पेश होने का निर्देश दिया गया, लेकिन एम्स, भुवनेश्वर के विशेष मेडिकल बोर्ड ने उनकी जांच की और पाया कि वे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हैं। गृह विभाग ने इसे घोर कदाचार करार दिया है।

इसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री सुरक्षा के पुलिस महानिरीक्षक के पद से हटाकर 11 जुलाई को गृह विभाग में विशेष ड्यूटी पर तैनात किया गया।

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