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कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में इलाज के दौरान ली अंतिम सांस
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राज्यपाल, केंद्रीय शिक्षा मंत्री व मुख्यमंत्री ने जताया शोक
भुवनेश्वर। धान बीज को संरक्षित करने व जैविक खेती के लिए कार्य करने वाली तथा पद्मश्री पुरस्कार विजेता कमला पुजारी का हृदय गति रुकने से निधन हो गया। कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि शनिवार तड़के उनका निधन हो गया। वह 73 साल की उम्र की थीं।
उनके निधन पर राज्यपाल रघुवर दास, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अन्य लोगों ने पुजारी के निधन पर शोक व्यक्त करने के साथ-साथ गहरा दुःख व्यक्त किया।
कमला पुजारी को उनकी हालत बिगड़ने के बाद दो दिन पहले जयपुर स्थित अस्पताल से एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया था।
गौरतलब है कि पुजारी की तबीयत कुछ सालों से ठीक नहीं थी और वह पहले भी उन्हें कई बार एससीबी में इलाज कराया जा चुका था। वह किडनी संबंधी बीमारियों से पीड़ित थीं।
पुजारी के इलाज के लिए मेडिसिन विभाग, नेफ्रोलॉजी विभाग और पल्मोनोलॉजी विभाग के चार डॉक्टरों की एक टीम बनाई गई थी। मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर जयंत पंडा के नेतृत्व वाली टीम पुजारी की देखभाल कर रही थी।
सूत्रों ने बताया कि हाल ही में उनका डायलिसिस हुआ था। आज तड़के उन्हें हृदयाघात हुआ। जनजाति बहुल कोरापुट जिले के एक दूरदराज के गांव से आने वाली पुजारी जैविक खेती को बढ़ावा देने और पारंपरिक धान के बीजों को संरक्षित करने के लिए जानी जाती थीं।
उन्हें धान की सैकड़ों देशी किस्मों को संरक्षित करने का श्रेय उन्हें जाता है। उन्होंने लोगों को एकजुट कर रासायनिक उर्वरकों से दूर रहने के लिए लोगों से बातचीत कर जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया।
उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा वर्ष 2019 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक, पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। जैविक खेती में उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी दिए गए।
मुख्यमंत्री ने बेटे से की बात
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पद्मश्री कमला पुजारी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री माझी ने कमला पुजारी के पुत्र टंकधर पुजारी से फोन पर बात कर उन्हें सांत्वना दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिवंगत कमला पुजारी एक असाधारण गुणी, साधिका और त्यागी महिला थीं। सैकड़ों देशी चावल और अन्य अनाज के बीजों को बचाकर और जैविक खेती को बढ़ावा देकर, वह मानव समाज के लिए एक उज्ज्वल भविष्य सुरक्षित किया। पर्यावरण संरक्षण में उनके अमूल्य योगदान को प्रदेश एवं देश कभी नहीं भूलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका जाना पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की सद्गति की कामना करने के साथ-साथ शोक संतप्त परिवार क प्रति संवेदना व्यक्त की है।