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राष्ट्रपति ने भुवनेश्वर में नाइजर के 13वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया
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छात्रों से किया अपने ज्ञान को सामाजिक उद्यम समझने का आह्वान
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समाज और देश के विकास में प्रयोग करने की दी सलाह
भुवनेश्वर। अपने ज्ञान को सामाजिक उद्यम समझें और इसका उपयोग समाज और देश के विकास के लिए करें। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भुवनेश्वर स्थित राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (नाइजर) में 13वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए विद्यार्थियों को यह सलाह दी।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि नाइजर की यात्रा अभी कुछ वर्षों की ही है, लेकिन इसने कम समय में ही शिक्षा जगत में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि यह संस्थान विज्ञान की तार्किकता और परंपरा के मूल्यों को एक साथ जोड़कर आगे बढ़ रहा है।
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि सार्थक शिक्षा और ज्ञान वही है, जो मानवता की भलाई और उत्थान के लिए इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने विश्वास जताया कि वे जहां भी काम करेंगे, अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता के सर्वोच्च स्तर को प्राप्त करेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि अपने कार्यक्षेत्र में उपलब्धियों के साथ-साथ वे अपने सामाजिक कर्तव्यों का भी पूरी जवाबदेही के साथ निर्वहन करेंगे।
सात पापों में निर्दयी विज्ञान भी
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने सात सामाजिक पापों के बारे में बताया है, जिनमें से एक है निर्दयी विज्ञान भी है। यानी मानवता के प्रति संवेदनशीलता के बिना विज्ञान को बढ़ावा देना पाप करने के समान है। उन्होंने विद्यार्थियों को गांधी जी के इस संदेश को हमेशा याद रखने की सलाह दी।
विनम्रता और जिज्ञासा की भावना बनाए रखें
राष्ट्रपति ने छात्रों को सलाह दी कि वे अपने अंदर हमेशा विनम्रता और जिज्ञासा की भावना बनाए रखें। उन्होंने कहा कि उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे अपने ज्ञान को एक सामाजिक उद्यम के रूप में देखें और इसका उपयोग समाज और देश के विकास के लिए करें।
विज्ञान से वरदान भी, अभिशाप का खतरा भी
राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान के वरदान के साथ-साथ इसके अभिशाप का खतरा भी हमेशा बना रहता है। आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत तेजी से बदलाव हो रहे हैं। नए तकनीकी विकास मानव समाज को क्षमताएं प्रदान कर रहे हैं, लेकिन साथ ही वे मानवता के लिए नई चुनौतियां भी पैदा कर रहे हैं। जैसे सीआरआईएसपीआर-सीएएस9 ने जीन एडिटिंग को बहुत आसान बना दिया है। यह तकनीक कई असाध्य बीमारियों के समाधान की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। हालाँकि, इस तकनीक के उपयोग से नैतिक और सामाजिक मुद्दों से जुड़ी समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं। इसी तरह, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में प्रगति के कारण डीप फेक की समस्या और कई नियामक चुनौतियां सामने आ रही हैं।
धैर्य की होती है परीक्षा
राष्ट्रपति ने कहा कि मौलिक विज्ञान के क्षेत्र में प्रयोग और शोध के परिणाम आने में अक्सर बहुत समय लगता है। कई बार कई वर्षों तक निराशा झेलने के बाद सफलता मिली है। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे कभी-कभी ऐसे दौर से भी गुजर सकते हैं, जब उनके धैर्य की परीक्षा होती है, लेकिन उन्हें कभी निराश नहीं होना चाहिए। उन्होंने छात्रों को हमेशा याद रखने की सलाह दी कि मौलिक शोध में विकास अन्य क्षेत्रों में भी बेहद फायदेमंद साबित होता है।
इस कार्यक्रम में राज्यपाल रघुवर दास, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी व नाइजर के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।