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प्रशासन के दिशा-निर्देश का पालन कर रही है जनता
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दुकानदार पांच बजते ही पर बंद कर देते हैं अपनी-अपनी दुकानें
शैलेश कुमार वर्मा, कटक
कटक में इन दिनों प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए दुकानदारों, व्यापारियों एवं आम लोगों को देखा जा रहा है. प्रशासन के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रातः सात बजे से शाम छह बजे तक दुकानें खोलने का प्रावधान किया गया है. इसका पालन करते हुए कटक के व्यापारियों को देखा जा रहा है.
एक सच यह भी है कि ओडिशा में इन दिनों लगातार बढ़ रहे हैं कोरोना के मरीजों के कारण कटक के लोगों में भय समा गया है. ठीक शाम पांच बजते ही व्यापारी लोग अपनी-अपनी दुकानों को बंद करने लगते हैं. शाम छह बजे के बाद सड़कों पर विरानी सी छा जाती है और एक-दो लोग सड़कों पर नजर आते हैं. पुलिस प्रशासन की ओर से शाम छह बजे के बाद सड़कों पर चल रहे वाहनों को रोककर जांच पड़ताल की जा रही है और लोगों को हिदायत दी जा रही है कि शाम छह बजे से लेकर सुबह सात बजे तक अपने-अपने घरों में रहें तथा मास्क एवं सोशल डिस्टेंस का मेंटेन जरूर करें.
बाहर से आ रहे प्रवासियों के कारण बढ़ रहे कोरोना के मरीजों को देखते हुए लोग भयभीत भी नजर आ रहे हैं. कुछ दुकानदारों का कहना है कि बढ़ती गर्मी को देखते हुए दुकान खोलने का समय सीमा सही निर्धारित करनी चाहिए, क्योंकि बढ़ती गर्मी में ग्राहक या महिलाएं घर से दोपहर को नहीं निकलती हैं और शाम को पांच बजे के बाद ही सड़कों पर खरीदारों की भीड़ शुरू होती है. लेकिन प्रशासन के दिशा-निर्देशों को पालन करते हुए शाम पांच बजते ही दुकान को बंद कर देने के कारण दुकानदारी नहीं के बराबर हो रही है. हालांकि सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक सड़कों पर जिस प्रकार आवागमन शुरू हो रहा है, वह पहले की तरह ही नजर आ रहा है. लेकिन खरीदारों की भीर नजर नहीं आ रही है.
कुछ फल दुकान वालों ने बताया कि जिस प्रकार फलों की बिक्री होनी चाहिए, उस प्रकार फलों की बिक्री नहीं है. रमजान होने के बावजूद फलों की बिक्री नहीं के बराबर है. कुछ भीड़-भाड़ सिर्फ कपड़ों की दुकानों में देखने को मिल रही है. लोगों में कोरोना मरीजों को लेकर लोगों में फिर से भय उत्पन्न हो गया है कि कहीं पहले की तरह ही लॉकडाउन की स्थिति उत्पन्न ना हो जाए. कहीं-कहीं शटडाउन की भी स्थिति उत्पन्न होती हुई नजर आ रही है.
Government of Union and state have to look into problem and solution
People representatives must have to come forward.
In view of problems of general mass some representatives have come forward to donate a fraction of their salary but they ought to think over not to take salary specially when most of them are quite monied person having their own resources save and except a few like Hon’ble Minister fisheries shri Rudra Prasad Sadangi.
This is with reference to foundation of Odisha Madhu Babu who had guts to refuse salary as Hon’ble Minister Bengal Bihar Orissa