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प्रताप षाड़ंगी ने स्वामी लक्ष्मणानंद की हत्या मामले में नवीन को घेरा

  •  न्यायिक आयोगों की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने पर कठघरे में खड़ा किया

  • मुख्यमंत्री को जगन्नाथ संस्कृति के विरोधी करार दिया

भुवनेश्वर। पूर्व केन्द्रीय मंत्री तथा सांसद प्रताप षाड़ंगी ने स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के मामले में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को कठघरे में खड़ा किया। साथ ही उन्होंने कहा कि स्वामीजी की हत्या व कंधमाल हिंसा के मामले में गठित न्यायिक आयोगों की रिपोर्टों को नवीन पटनायक क्यों सार्वजनिक नहीं कर रही है। उसमें क्या ऐसी बातें हैं, जिसे लेकर नवीन पटनायक भयभीत हैं। उन्होंने कहा कि नवीन पटनायक सरकार जगन्नाथ संस्कृति विरोधी कार्य में लगी है तथा उसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।

भाजपा द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में षाड़ंगी ने कहा कि स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती ने अपने जीवन के चार दशक जनजातीय समाज के विकास में खपा दिया था। उन्होंने जनजातीय बच्चों के लिए संस्कृत के आवासीय विद्यालय खोला था। जनजातीय समाज को उन्होंने वाणी दी थी।

उनके कारण कंधमाल में धर्मांतरण का कार्य रुक गया था। इस कारण स्वामी जी के जीवन के प्रति खतरा था। पहले उन्हें बंदूक वाले सुरक्षाकर्मी दिये गये थे। बाद में उसे हटाकर लाठी वाले सुरक्षाकर्मी दिये गये थे। उन्हें मारने के लिए बाकयदा पत्र आया था। इसके बाद उन्होंने सुरक्षा के लिए थाने में लिखित में बताया था। इसके बावजूद भी उन्हें सुरक्षा नहीं दी गयी। उन्होंने कहा कि जिस समय उनकी और अन्य लोगों की हत्या हुई, उस समय उनके सुरक्षाकर्मी वहां नहीं था। स्वामी जी की हत्या के लिए गृह विभाग व गृह विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जिम्मेदार हैं।

उन्होंने कहा कि इस मामले में तत्कालीन सांसद राधाकांत नायक व वर्तमान में बीजद के सांसद सस्मित पात्र के पिता का नाम सामने आये था। उनका नाम संदेह के घेरे में था, लेकिन नवीन पटनायक ने किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की।

उन्होंने कहा कि इन मामलों की जांच के लिए तीन न्यायिक आयोगों का गठन किया गया था। रिपोर्ट सरकार के पास आ गई है, लेकिन सरकार उन्हें सार्वजनिक नहीं कर रही है। नवीन सरकार में जगन्नाथ संस्कृति को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि कंधमाल में हरिजन और आदिवासी समुदायों की जमीन हड़पकर उनके बीच दुश्मनी पैदा करने की कोशिश की गई और इसके बाद क्षेत्र के लोगों का अवैध धर्मांतरण किया गया।

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