Home / Odisha / मातृभूमि की सेवा के लिए 10 आईआईटियंस ने ठुकराई थी विदेशी आकर्षक नियुक्तियां

मातृभूमि की सेवा के लिए 10 आईआईटियंस ने ठुकराई थी विदेशी आकर्षक नियुक्तियां

  • 100 महान आईआईटियंस पर आधारित पुस्तक का विमोचन आज

भुवनेश्वर। मातृभूमि की सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं। देश के 10 आईआईटियंस ने यह साबित करते हुए विदेशी आकर्षक नियुक्तियों को ठुकरा दी थी। ये विभूतियां हैं-नंदन नीलेकणि, कोटा हरिनारायण, नारायण मूर्ति, दामोदर आचार्य, बीके सिंघल, रबी बस्तिया, वाईसी देवेश्वर, गोपाल चंद्र मित्रा, मनोहर पार्रिकर, कैप्टन एनएस मोहन राम।

ये सभी 2000 से पहले आईआईटी से स्नातक हैं और भारत में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रसिद्ध नाम हैं और अपनी लगन और मेहनत से अपने-अपने क्षेत्र में ऊंचाइयों तक पहुंचे हैं।

हालांकि हजारों छात्र भारत के उच्च शिक्षा के पवित्र मंदिर आईआईटी के माध्यम से उत्तीर्ण हुए हैं और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपना नाम कमाया है, लेकिन ऊपर उल्लिखित नामों की सूची में वे लोग शामिल हैं, जिन्होंने अपनी मातृभूमि की सेवा के लिए विदेशों में आकर्षक नियुक्तियों को नजरअंदाज करना चुना।

ऐसे शानदार इंजीनियरों और टेक्नोक्रेट्स पर आधारित 100 महान आईआईटियंस के 404 पेज का एक संग्रह को सूचीबद्ध किया गया है। ये ऐसी विभुतियां हैं, जिन्होंने वर्षों से भारत की वृद्धि और विकास को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व प्रदान किया है। इस पुस्तक का संपादन कमांडर वीके जेटली ने किया है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की परिकल्पना देश की आजादी से पहले की गई थी और इसका ब्लू प्रिंट नलिनी रंजन सरकार समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया था।  पुस्तक 100 ग्रेट आईआईटियंस उन स्नातकों पर केंद्रित है, जिन्होंने विकसित दुनिया के ग्लैमर से आकर्षित होने से इनकार कर दिया।

यह पुस्तक उन महान आईआईटियंस की सफलता की कहानियों के बारे में बताती है, जिन्होंने प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और विकास, शासन, शैक्षणिक, रक्षा, सामाजिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों, कला और संस्कृति और कॉर्पोरेट जगत के क्षेत्र में बहुत योगदान दिया है।

इस पुस्तक का विमोचन 29 अप्रैल को सोआ सभागार में आयोजित होने वाले यूथ फॉर नेशन (यू4एन) के ओडिशा चैप्टर के उद्घाटन के अवसर पर किया जायेगा। इस समारोह में ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास भी शामिल होंगे।

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के दूरदर्शी मुख्यमंत्री डॉ बीसी रॉय ने आईआईटी के सपनों को हकीकत में तब्दील करने के लिए खड़गपुर में भूमि प्रदान की, जहां भारत का पहला आईआईटी स्थापित किया गया और बाद में 18 अगस्त, 1951 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसका उद्घाटन किया।

भारतीय संसद ने 15 सितंबर, 1956 को आईआईटी (खड़गपुर) अधिनियम पारित कर इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया। स्वतंत्र भारत के इतिहास में आईआईटी की यात्रा ने एक दुर्लभ सफलता की कहानी लिखी है। आज भारत में 23 आईआईटी हैं, जो संस्थानों को एक वैश्विक ब्रांड बनाते हैं और दुनिया भर में मान्यता प्राप्त हैं।

Share this news

About desk

Check Also

मुख्यमंत्री का संविधान के मूल्यों के प्रति जागरूक रहने का आह्नान

राज्यस्तरीय संविधान दिवस मनाया गया मुख्यमंत्री ने संविधान की प्रस्तावना का पाठ कराया लोगों से …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *