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अदालतों ने जमानत पर रिहा करने का दिया था निर्देश
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जमानत बांड नहीं भरने के कारण अभी भी हैं जेलों में
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22 अप्रैल तक ताजी स्थिति पर रिपोर्ट तलब
कटक। ओडिशा के विभिन्न जिलों में जमानत बांड भरने में असमर्थता के कारण आज भी कुल 444 विचाराधीन कैदी रिहा नहीं हो पाये हैं। हालांकि अदालतों ने जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया था, लेकिन अभी भी ओडिशा की जेलों में हैं।
ओडिशा राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (ओएसएलएसए) ने शुक्रवार को यह जानकारी राज्य के उच्च न्यायालय के समक्ष रखी। अदालत साल 2006 में जेलों में भीड़भाड़ और अन्य समस्याओं पर कृष्ण प्रसाद साहू द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
वर्चुअल मोड में मौजूद ओएसएलएसए के सदस्य सचिव सुदीप्त आचार्य ने स्वीकार किया कि अदालतों द्वारा जमानत दिए जाने के बावजूद 444 विचाराधीन कैदी राज्य की जेलों में हैं।
उन्होंने कहा कि उनमें से कई लोग जमानत बांड नहीं भरते, क्योंकि वे कई मामलों में आरोपी हैं। न्याय मित्र गौतम मिश्र ने इस मुद्दे को उठाते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) निर्धारित की थी, जिसमें व्यक्तिगत पहचान बांड (पीआर बांड) पर ऐसे विचाराधीन कैदियों को छोड़ा जाना शामिल था।
इस दौरान पेश की प्रस्तुतियों को रिकॉर्ड पर लेते हुए मुख्य न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह और न्यायमूर्ति एमएस रमन की खंडपीठ ने कहा कि अदालत मामले की गंभीरता और तात्कालिकता को देखते हुए सदस्य सचिव ओएसएलएसए से अनुरोध करती है कि वह जिला कानूनी सचिव के साथ ऑनलाइन बैठक करें। सेवा प्राधिकारी एक सप्ताह के भीतर सुनिश्चित करें कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का विधिवत अनुपालन हो।
अब इस मामले को की सुनवाई 22 अप्रैल को होगी। पीठ ने आगे कहा कि इस तारीख को सदस्य सचिव, ओएसएलएसए, विचाराधीन कैदियों, जो जमानत आदेशों के बावजूद अभी भी जेल हिरासत में हैं, की ताजी स्थिति के संबंध में एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत करेंगे।