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निचली अदालत के निर्देश को हाईकोर्ट ने रखा कायम
भुवनेश्वर। बहुचर्चित ओडिशा रुरल हाउसिंग डेवलपमेंट कार्पोरेशन (ओआरएचडीसी) भ्रष्टाचार के मामले में कटक बारबाटी से कटक-बारबाटी विधायक मोहम्मद मुकीम को हाईकोर्ट से झटका लगा है। इस संबंध में न्यायालय ने मोहम्मद मुकीम द्वारा किये गये आवेदन को खारिज कर भुवनेश्वर के विशेष विजिलेंस कोर्ट द्वारा दिये गये निर्णय को कायम रखा है।
उल्लेखीय है कि विशेष विजिलेंस कोर्ट ने ओडिशा रुरल हाउसिंग डेवलपमेंट कार्पोरेशन में भ्रष्टाचार के मामले की सुनवाई करते हुए निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक तथा आईएएस अधिकारी विनोद कुमार, निगम के पूर्व कंपनी सेक्रेटरी स्वस्तिरंजन महापात्र, मेट्रो बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रबंध निदेशक मोहम्मद मुकीम को तीन साल की सजा सुनायी थी। 29 सितंबर 2022 को न्यायालय ने यह सजा सुनायी थी। इसके बाद मुकीम ने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। 19 अक्टूबर, 2022 को कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। कांग्रेस नेता को जल्द ही दो जमानतदारों के साथ 1 लाख रुपये के जमानत बांड पर ओडिशा उच्च न्यायालय से अंतरिम जमानत मिल गई।
इस बीच, बीजद के वरिष्ठ नेता देवाशीष सामंतराय ने कहा कि यह भ्रष्टाचार से संबंधित एक सतर्कता मामला था और ओआरएचडीसी के कई अधिकारियों को जेल भेजा गया है। मोहम्मद मुकीम और उसके साथी को भी अदालत ने दोषी ठहराया था, लेकिन उन्हें स्टे मिल गया था। चुनाव कानून के अनुसार, जिन लोगों को दो साल या उससे अधिक की सजा होगी, वे अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते।