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ओडिशा ईओडब्ल्यू ने आईडीबीआई बैंक, दंडमुकुंदपुर शाखा के पूर्व शाखा प्रबंधक सहित 2 को गिरफ्तार किया
भुवनेश्वर। आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू), भुवनेश्वर ने रविवार को 3.70 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में मुख्य आरोपी आईडीबीआई बैंक, दंडमुकुंदपुर शाखा, पिपिलि के पूर्व शाखा प्रबंधक सरोज कांत महापात्र सहित दो लोगों को गिरफ्तार किया है। बताया गया है कि कथित साजिशकर्ता महापात्र के सहयोगी एंजेल मिश्र को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। यह मामला भुवनेश्वर में आईडीबीआई बैंक के महाप्रबंधक संदीप पटनायक के आरोप पर दर्ज किया गया था।
अपनी शिकायत में वरिष्ठ अधिकारी ने आरोप लगाया कि आईडीबीआई बैंक, दंडमुकुंदपुर शाखा के पूर्व शाखा प्रमुख (अब प्रबंधक) सरोजकांत महापात्र और पूर्व संपत्ति अधिकारी (अब सहायक प्रबंधक) तन्मय कुमार महाराणा ने अवैध रूप से 35 फर्जी ऋण स्वीकृत/वितरित किए थे। मुद्रा ऋण की राशि 3.70 करोड़ रुपये है, जो ज्यादातर उनके करीबी रिश्तेदारों/परिचितों के पक्ष में है।
जांच के दौरान, यह पाया गया कि 3.7 करोड़ रुपये की सरकारी नकदी पिपिलि में आईडीबीआई की दंडमुकुंदपुर शाखा में रखे गए बीडीओ, पिपिलि के दो बैंक खातों में जमा की गई थी।
साल 2018 में पिपिलि बीडीओ ने उपरोक्त राशि के फ्लेक्सी फिक्स्ड डिपॉजिट (एफएफडी) के लिए बैंक से अनुरोध किया था और तत्कालीन आरोपी शाखा प्रबंधक की सलाह के अनुसार तत्कालीन बीडीओ, पिपिलि ने इस उद्देश्य के लिए सात “योरसेल्फ” चेक जारी किए थे।
मामले का खुलासा तब हुआ, जब बीडीओ ने फ्लेक्सी खाते की जानकारी और खाते का स्टेटमेंट मांगा। बैंक ने सूचित किया कि बीडीओ, पिपिलि के खातों से कभी भी ऐसी कोई एफएफडी बुक नहीं गई थी।
ईओडब्ल्यू ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि बैंक द्वारा एक आंतरिक जांच की गई, जिसमें यह सामने आया कि बैंक में जमा किए गए पिपिलि ब्लॉक कार्यालय के 3.7 करोड़ रुपये का तत्कालीन बैंक अधिकारियों ने दुरुपयोग किया है।
इसके अलावा आरोपियों ने ऋण लेने वालों की जानकारी के बिना, अपने करीबी रिश्तेदारों/परिचितों के नाम पर 10 लाख रुपये की राशि के 35 फर्जी मुद्रा ऋण धोखाधड़ी से बनाए थे।
जनरल लेजर अकाउंट के अंतर्गत आने वाले बैंक के फंड से 35 ऋणियों को ऋण का वितरण किया गया था। ईओडब्ल्यू ने कहा कि ऋण राशि को निश्चित रूप से एक विशेष खाते में स्थानांतरित/डायवर्ट किया गया पाया गया। संपूर्ण ऋण राशि प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से एंजेल मिश्र के एसबीआई में रखे गए बैंक खाते में भेज दी गई थी। ऑडिट से बचने के लिए उन्होंने शाखा में रखे गए बीडीओ पिपिलि के दो खातों से राशि स्थानांतरित करके मुद्रा ऋण बंद कर दिया। इस उद्देश्य के लिए आरोपी बैंक अधिकारियों ने बीडीओ, पिपिलि के आदेश के साथ छेड़छाड़ की और जाली दस्तावेजों को असली के रूप में इस्तेमाल किया।