विष्णु दत्त दास, पुरी
भगवान जगन्नाथ जी की नगरी श्री क्षेत्र पुरी धाम में लगभग 10000 बंदर निवास करते हैं. लाकडाउन के चलते पुरी में दुकानें, बाजार बंद होने के साथ श्री मंदिर में आनंद बाजार में महाप्रसाद बेचने वाली दुकानें बंद हैं. लोगों के प्रवेश पर पाबंदी लगाए जाने के बाद कोई भी श्रद्धालु श्री मंदिर नहीं जा पा रहे हैं. इससे अब महाप्रसाद खुद भोजन करने के साथ-साथ बंदरों को देने की जो परंपरा है, उसको नहीं निभाया जा रहा है.
सीमा के अंदर में चारों तरफ छोटे-बड़े मंदिरों में हर दिन की तरह अभी श्रद्धालुओं लोगों का फल व अन्य सामान नहीं चढ़ रहा है. इससे मंदिरों में बंदरों को खाने के लिए संकट आ गयी है. इसके साथ श्री मंदिर के चारों तरफ सुरक्षा घेरा के आर पर जिला प्रशासन 75 मीटर घरों को मठों को तोड़ दिया है. इसके दौरान लगभग 260 घर अब नहीं रहे. इन लोगों से बंदरों के लिए जो खाना मिलता था, वह भी बंद हो गया. लाकडाउन के कारण बंदर और कबूतरों को खाने के संकट का सामना करना पड़ रहा है.
इसे देखते हुए सुकृति एवं स्वशक्ति जागरण सेवा संस्थान की तरफ से 20 कांधि केला, 60 किलो चना, पांच पेटी बिस्कुट बंदरों के लिए पुरी श्री मंदिर पश्चिम द्वार के माध्यम से वरिष्ठ सेवायत छतीसा नियोग नायक जनार्दन पाटजोशी महापात्र के प्रतिनिधि को दिया गया, ताकि बंदरों और पक्षियों को खाना मिल सके. रोजाना साक्षी गोपाल मंदिर के पास बंदरों को केले दिये जाएंगे. वैसे ही चना को पुरी सेवा समिति मरचीकोड चौक पर भीगा कर बंदरों को दिए जाएगा. वैसे ही बिस्कुट दिए जाएंगे. आज सुकृति की तरफ से परेश नायक संस्थान की तरफ से समाजसेवी शरत जयसिंह सोमेंद्र दास नीलामणि गुरु पूर्ण चंद्र खुटिया प्रमुख लोग उपस्थित थे. इस कार्य को सबने सराहना की है. लोगों ने कहा कि पशुओं की सेवा के लिए भी आगे जाने की जरूरत है, ताकि लाकडाउन के दौरान कोई जानवर भूखा न रहे. पुरी में इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है. इससे सड़कों पर घूमने वाले पशुओं के लिए खाने-पीने का संकट उत्पन्न हो गया है.