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बालेश्वर रेल हादसा के चार महीने बाद नहीं मिला कोई दावेदार
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स्वयंसेवक समूह की महिलाओं ने पूरी की अंतिम संस्कार की प्रक्रिया
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मंगलवार शाम से शुरू हुआ अंत्येष्टि का सिलसिला बुधवार सुबह तक चला
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शवों को बर्फ के एक बक्से में चार महीने से सुरक्षित रखा गया था
भुवनेश्वर। ओडिशा के बालेश्वर जिले में हुए भीषण रेल हादसे के चार महीने बाद महिला स्वयंसेवकों की मदद से 28 अज्ञात शवों की अंत्येष्टि प्रक्रिया बुधवार को पूरी कर ली गई। अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इन शवों के लिए किसी ने दावा नहीं किया था।
भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी) की मेयर सुलोचना दास ने कहा कि रेल हादसे के बाद अज्ञात शवों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया मंगलवार शाम को शुरू हुई, जो बुधवार को सुबह करीब आठ बजे तक पूरी कर ली गई। दास ने कहा कि महिला स्वयंसेवकों ने अंतिम संस्कार में सक्रिय रूप से भाग लिया। तमाम बंधनों के बावजूद महिला स्वयंसेवक अज्ञात शवों की अंत्येष्टि के लिए आगे आईं और चिताओं को अग्नि को समर्पित किया। उन्हें यह भी नहीं पता कि मृतक किस धर्म से थे, वे पुरुष थे या महिला। उन्होंने कहा कि सभी शवों को बर्फ के एक बक्से में चार महीने से भी अधिक समय से संरक्षित करके रखा गया था। दास ने बताया कि शवों का बीएमसी द्वारा भरतपुर श्मशान गृह में अंतिम संस्कार किया गया।
पहले तीन शवों का अंतिम संस्कार करने वाली मधुस्मिता प्रृष्टि (37), स्मिता मोहंती (53) और स्वागतिका राव (34) ने किया। प्रृष्टि ने कहा कि अज्ञात शवों के लिए यह पवित्र अनुष्ठान करने के वास्ते हम स्वयं आगे आए। हो सकता है कि वे हमारे पिछले किसी जन्म के रिश्तेदार हों।
राव ने कहा कि शवों की हालत ऐसी थी कि उनकी पहचान नहीं की जा सकती थी और कोई यह भी नहीं जान सकता था कि वे पुरुष थे या महिला। उन्होंने कहा कि सबसे बढ़कर, वे इंसान थे और उनका अंतिम संस्कार सम्मान के साथ किया गया। एक स्वयं सेवक संगठन (एनजीओ) को मुखाग्नि देने और अस्थि विसर्जन के लिए नियुक्त किया गया है। बालेश्वर जिले के बाहनगां बाजार में दो जून को हुए भीषण रेल हादसे में मारे गए अज्ञात लोगों के शवों को बर्फ से भरे एक बक्से में भुवनेश्वर स्थित एम्स में रखा गया था।
सीबीआई की मौजूदगी में अंतिम संस्कार
अस्पताल के अधिकारियों ने सीबीआई के अधिकारियों की मौजूदगी में सभी शवों को बीएमसी को सौंप दिया था। सीबीआई, रेल हादसे की जांच कर रही है। बालेश्वर रेल हादसे में 297 लोगों की जान चली गई थी। बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सभी अज्ञात शवों का राज्य सरकार, केंद्र सरकार और एनएचआरसी दिशा-निर्देशों के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया है। उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार के लिए शव सौंपने की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई।
डीएनए को संरक्षित किया गया
एम्स भुवनेश्वर के एनाटॉमी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर प्रभाष त्रिपाठी ने कहा कि हालांकि इन चार महीनों में 28 शवों पर दावा करने कोई नहीं आया, लेकिन बाद में कोई भी दावा कर सकता है। इसलिए, कानूनी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए हमने डीएनए संरक्षित किया है।
हादसे के बाद 123 शव पहुंचे थे एम्स
एम्स भुवनेश्वर ने एक विज्ञप्ति में कहा कि अस्पताल को चार जून की रात को 123 शव मिले थे और कैपिटल अस्पताल और अन्य निजी स्वास्थ्य सुविधाओं से 39 शव मिले थे। इनमें से 81 शवों की पहचान उनके परिजनों ने की थी, तथा 53 अन्य शवों की पहचान डीएनए प्रोफाइलिंग द्वारा की गई और पुष्टि होने के बाद उनके परिवारों को शव दे दिए गए। एम्स भुवनेश्वर ने कहा कि शेष 28 शवों को 10 अक्टूबर को अंतिम संस्कार के लिए बीएमसी को सौंप दिया गया। रेल हादसे की जांच कर रही सीबीआई ने हाल ही में शवों की अंत्येष्टि के लिए खुर्दा जिला प्रशासन से आग्रह किया था।