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2030-35 तक शून्य अपशिष्ट उद्योग और कार्बन तटस्थ बनना लक्ष्य
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लागत प्रतिस्पर्धा बढ़ाने वाले संसाधनों के संरक्षण में मदद के लिए नियामक प्राधिकरण की स्थापना की वकालत
भुवनेश्वर-आज यहां एल्यूमिनियम पर होटल मेफेयर में ढाई दिवसीय क्षमता निर्माण और जागरुकता कार्यक्रम शुरू हुआ। इसका आयोजन खनन मंत्रालय, नीति आयोग, जवाहरलाल नेहरू एल्यूमिनियम रिसर्च डेवलपमेंट एंड डिज़ाइन सेंटर (JNARDDC), एल्युमीनियम एसोसिएशन आफ़ इंडिया (AAI), मैटेरियल रिसाइक्लिंग एसोसिएशन आफ इंडिया (MRAI) और एल्यूमिनियम सेकेंडरी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ASMA) के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। इसका उद्घाटन Member Secretary, EAC-PM, GoI रतन पी वाटल ने किया। इस मौके पर JNARDDC के निदेशक डा अनुपम अग्निहोत्री, Sr. Consultant, Office of Principal Scientific Advisor to GoI डा बीएन सतपथी, Director, Ministry of Mines अमित सारन, MCoE, HINDALCO बिभू मिश्रा, Executive Director, Mines, NALCO शरणन चौधरी, Vice President, MRAI किशोर राजपुरोहित समेत कई अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए वाटल ने वृत्तीय अर्थव्यवस्था और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में प्राकृतिक संसाधनों की कमी के मद्देनजर संसाधन दक्षता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सतत विकास के लिए एल्यूमीनियम संसाधन दक्षता प्रमुख तत्व है। उन्होंने कहा कि बेकार सामग्री जैसे कि अवशेष बक्साइट, राख, स्पेंट पाट लिनिंग (एसपीएल) तथा एल्यूमीनियम का पुनर्चक्रण पर ध्यान देने की आवश्यकता महसूस हो रही है। डा अग्निहोत्री ने एल्यूमीनियम उद्योग में संसाधन दक्षता हासिल करने में हर संभव तरीके से योगदान देने के लिए JNARDDC की प्रतिबद्धता को दुहराया, जिसमें यह क्षेत्र सबके सम्मिलित प्रयास से 2030-35 तक शून्य अपशिष्ट उद्योग और कार्बन तटस्थ बन सके। डा अग्निहोत्री ने नियामक प्राधिकरण की स्थापना की वकालत की जो लागत प्रतिस्पर्धा आदि बढ़ाने वाले संसाधनों के संरक्षण में मदद करेगा। कार्यक्रम में तीनों प्राथमिक एल्युमीनियम उत्पादक कंपनियों (नाल्को, वेदांता और हिंडाल्को) से व्यापक भागीदारी मिली है। इनके अलावा अन्य कंपनियों के साथ-साथ युवा उद्यमी भी भाग ले रहे हैं। अगले दो दिनों में प्राथमिक और माध्यमिक एल्युमीनियम उद्योग द्वारा उत्पन्न कचरे का विशिष्ट उपयोग, मूल्य वर्धित उत्पादों में कचरे का प्रसंस्करण, एल्यूमीनियम का पुनर्चक्रण-चिंता के क्षेत्र तथा सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध प्रौद्योगिकियों पर प्रकाश डाला जायेगा, जिससे प्रतिभागियों को ज्ञान अर्जित हो सके।