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ओडिशा में पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में घोटाला

  • 15 अयोग्य संस्थानों के 5,185 लाभार्थियों को मिले 15.79 करोड़ रुपये

  • पढ़ाई छोड़ चुके छात्रों को भी मिला है छात्रवृत्ति का लाभ

भुवनेश्वर। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने ओडिशा में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के तहत पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति (पीएमएस) योजना के कार्यान्वयन में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का खुलासा किया है। इसमें 15.79 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। बताया गया है कि पढ़ाई छोड़कर चुके छात्रों को भी छात्रवृत्ति का लाभ मिला है।

इस बात का खुलासा विधानसभा में मंगलवार को पेश की गई कैग की रिपोर्ट से हुआ है।

राज्य में पात्र छात्रों को पीएमएस के भुगतान में डीबीटी के कार्यान्वयन के प्रदर्शन ऑडिट पर अपनी रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि निजी शैक्षिक निरीक्षण के लिए विस्तृत चेकलिस्ट नहीं होने के कारण वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2016-20 के दौरान 15 अयोग्य संस्थानों के 5,185 लाभार्थियों को 15.79 करोड़ रुपये की पीएमएस राशि प्रदान की गई थी।

हालांकि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने मई 2018 में जारी अपने संशोधित दिशानिर्देशों में जिला कलेक्टरों द्वारा नामित अधिकारियों से निजी शैक्षणिक संस्थानों का निरीक्षण अनिवार्य कर दिया था।

16 संस्थानों में से आठ अस्तित्व में नहीं

कैग ने कहा है कि पीएमएस को मंजूरी देने के लिए निजी शिक्षण संस्थानों के निरीक्षण का कोई प्रावधान नहीं था। हालांकि, कल्याण विस्तार अधिकारियों (डब्ल्यूईओ) और सहायक जिला कल्याण अधिकारियों द्वारा सितंबर और अक्टूबर 2021 में राष्ट्रीय व्यावसायिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीआरटी) तथा भारत सेवक समाज (बीएसएस) से संबद्ध 16 संस्थानों का लेखापरीक्षा अधिकारियों की उपस्थिति में संयुक्त भौतिक निरीक्षण किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त सत्यापन के दौरान सत्यापित 16 संस्थानों में से आठ अस्तित्व में नहीं थे और स्थानीय लोगों से भी इन संस्थानों के अस्तित्व का पता नहीं लगाया जा सका। इसमें कहा गया है कि प्रेरणा (पीएमएस योजना पोर्टल) सॉफ्टवेयर भी इन अयोग्य संस्थानों की पहचान करने और उन्हें फ़िल्टर करने के लिए ठीक से सुसज्जित नहीं था। परिणामस्वरूप, 15.79 करोड़ रुपये की पीएमएस राशि गैर-मौजूदा/अयोग्य संस्थानों द्वारा हड़प ली गई। कैग ने यह भी पाया कि कुछ ऐसे छात्रों को पीएमएस दिया गया है, उन्होंने भले ही अपनी पढ़ाई बंद कर दी हो।

एसएसआईटी में पढ़ाई छोड़ चुके छात्रों को मिली छात्रवृत्ति

बताया गया है कि मयूरभंज जिले में सकुंतला सुदर्शन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एसएसआईटी) तीन साल का डिप्लोमा पाठ्यक्रम चला रहा था, जिसमें 2016-20 के दौरान 1,369 छात्रों ने प्रवेश लिया था।

ऑडिट ने 2016-19 और 2017-20 बैच के सेमेस्टर परिणामों का विश्लेषण किया और पाया कि क्रमशः 138 और 142 छात्रों ने अपनी अंतिम परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की थी और अपनी पढ़ाई बंद कर दी थी। हालांकि, उन्हें 2.36 करोड़ रुपये का पीएमएस भुगतान किया गया है।

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