भुवनेश्वर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) भुवनेश्वर ने भारत की आधिकारिक भाषा (राजभाषा) के रूप में हिंदी के महत्व को स्वीकार करने तथा अपने स्टाफ सदस्यों और केन्द्रीय विद्यालय आईआईटी भुवनेश्वर के छात्रों के मध्य भाषा के महत्व को बढ़ावा देने के लिए हिंदी पखवाड़ा (हिंदी पखवाड़ा) का सफल आयोजन किया। संस्थान ने इस अवसर पर 14 से 29 सितंबर तक विभिन्न कार्यक्रम एवं प्रतियोगिताएं आयोजित कीं। 15 दिनों तक चले इस समारोह का शुभारंभ 14 सितंबर को हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में हिंदी पुस्तक प्रदर्शनी के साथ हुआ और 29 सितंबर को विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरण के साथ संपन्न हुआ। राजभाषा एकक (राजभाषा यूनिट) और हिंदी साहित्यिक सोसायटी ऑफ स्टूडेंट्स जिमखाना ‘अभिव्यक्ति’ द्वारा संयुक्त रूप से समन्वयित, आईआईटी भुवनेश्वर के सदस्यों और छात्रों के लिए पखवाड़े के दौरान कई गतिविधियों और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। प्रोफेसर श्रीपद करमलकर, निदेशक, आईआईटी भुवनेश्वर और बामदेव आचार्य, कुलसचिव ने हिंदी पखवाड़ा समापन समारोह में अपनी गरिमामय उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
इस अवसर पर अपने संबोधन के दौरान प्रोफेसर श्रीपद करमलकर ने भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी के महत्व पर जोर दिया और बताया कि कैसे यह भाषा भारत की एकता को संरक्षित करने और बढ़ावा देने तथा देश की संस्कृति का पोषण करने में सहायक रही है। उन्होंने समृद्ध हिंदी साहित्य और भारतीय संस्कृति के विकास में उसके योगदान का भी उल्लेख किया। उन्होंने आईआईटी भुवनेश्वर के सभी सदस्यों को अपने दैनंदिन कार्यालयी कार्यों में हिंदी का अनुप्रयोग करने और हमारी भाषाई विरासत और आधुनिक युग के विकास के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया।
इसके उपरांत अपने अभिभाषण में कुलसचिव श्री बामदेव आचार्य ने हिंदी पखवाड़ा कार्यक्रम में संस्थान के सदस्यों की सक्रिय भागीदारी और पखवाड़े के दौरान आयोजित प्रतियोगिताओं पर हर्ष व्यक्त किया। उन्होंने स्टाफ सदस्यों से हिंदी के प्रचार-प्रसार की दिशा में काम करने और भविष्य में इन कार्यक्रमों में भाग लेने के प्रति अधिक सक्रिय होने का भी आग्रह किया है।
इस अवसर पर डॉ चेतन, प्राध्यापक प्रभारी, राजभाषा एकक, आईआईटी भुवनेश्वर ने स्वागत भाषण दिया। आगे विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रोफेसर श्रीपद करमलकर और श्री बामदेव आचार्य के करकमलों से पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन डॉ शंभुनाथ साहू, सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष और प्रभारी हिंदी अधिकारी द्वारा किया गया।