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अमर होने रास्ते चले एम्स भुवनेश्वर के डॉक्टर, छात्र और कर्मचारी

  • मरने के बाद भी जरूरतमंदों को नई जिंदगी देने का लिया संकल्प

  • किसी के नजर से देखेंगे दुनिया, तो किसी को जिंदगी देगी किडनी

  • किसी मिलेगा लीवर, तो किसी को अन्य अंग

  • 13वें भारतीय अंगदान दिवस पर जीवन बचाने के उद्देश्य में आम जनता का भी मिला भरपूर सहयोग

भुवनेश्वर। चिकित्सा के क्षेत्र में बुलंदियों को छू रहे एम्स भुवनेश्वर के चिकित्सक, छात्र और कर्मचारी अपने एक संकल्प के साथ ही अमर होने के रास्ते पर चल पड़े हैं। मरने के बाद इन्होंने दूसरों को नई जिंदगी देने का संकल्प लिया है। मरने के बाद भी उनकी आंखें किसी को रौशनी देगी, तो किडनी किसी जरूरतमंद को नई जिंदगी। किसी को लीवर मिलेगा, तो किसी को आवश्यक अन्य अंग।

आज 13वें भारतीय अंग दान दिवस (आईओडीडी) पर एक मिसाल कायम करते हुए एम्स भुवनेश्वर के चिकित्सकों, छात्रों और कर्मचारियों ने अंग दान करने का संकल्प लिया है। उनकी इस मुहिम में आमजन का भी भरपूर समर्थन मिला है।

बारकोड स्कैन करके अंगदान का संकल्प लिया

बताया जाता है कि आज जॉय ऑफ गिविंग लाइफ के अनुभव के तहत एक बार कोड को स्कैन करके इन लोगों ने अपने अंगदान करने का संकल्प लिया तथा अंगदान को जीवन का एक उपहार करार दिया तथा लोगों को अंगदान करने के लिए प्रेरित किया।

जन जागरूकता के लिए कई कार्यक्रम

एम्स भुवनेश्वर में 13वें भारतीय अंगदान दिवस पर एक कार्यक्रम में आकर्षक गतिविधियों की एक श्रृंखला आयोजित की गई थी। इसमें नर्सिंग कॉलेज, एम्स भुवनेश्वर के छात्रों द्वारा प्रस्तुत एक माइम-शो भी शामिल था, जिसने उपस्थित लोगों के बीच अंगदान के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

छात्रों ने गलतफहमियों को दूर किया

विचारोत्तेजक प्रदर्शन के माध्यम से छात्रों ने अंगदाता बनने के महत्व पर प्रकाश डाला और दान प्रक्रिया से जुड़े मिथकों और गलतफहमियों को दूर किया। गतिविधियां शुरू करने के लिए राष्ट्रीय संस्थान के ओपीडी फोयर में एक विशेष बैठक आयोजित की गई, जिसमें डॉ पीआर महापात्र (ईडी-प्रभारी और डीईएएन अकादमिक), चिकित्सा अधीक्षक डॉ डीके परिडा और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया और अंग दान के महत्व और आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

मृतक दानदाताओं का महत्व और मानदंडों पर जोर

डॉ संजीव भोई (न्यूरोलॉजी), डॉ आशीष पटनायक (न्यूरोसर्जरी), डॉ संगीता साहू (ट्रॉमा और इमरजेंसी), डॉ भागीरथी द्विवेदी (बाल रोग), डॉ प्रभास रंजन त्रिपाठी (एनाटॉमी) सहित डॉक्टरों की टीम ने मृतक दानदाताओं का महत्व और मानदंडों पर जोर दिया, जो समय की मांग है। बैठक में डॉ संदीप पंडा (नेफ्रोलॉजी) और डॉ मनोज दास (यूरोलॉजी) ने एम्स भुवनेश्वर में रीनल ट्रांसप्लांट के बारे में अपने अनुभव साझा किए। नर्सिंग कॉलेज की डॉ धारित्री स्वाईं ने दाताओं को तैयार करने की प्रक्रिया में नर्सिंग देखभाल की भूमिका का उल्लेख किया।

डॉ. बीडी पटनायक (सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी) द्वारा समन्वित इस कार्यक्रम में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए एक हस्ताक्षर अभियान भी देखा गया। एम्स भुवनेश्वर के कार्यकारी निदेशक डॉ आशुतोष विश्वास ने क्षेत्र में अंग दान को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर देते हुए संकाय, कर्मचारियों और छात्रों की उत्साही भागीदारी के प्रति अपनी सराहना व्यक्त की।

अंग प्रत्यारोपण के समर्थन के लिए कई कदम उठाए

उल्लेखनीय है कि एम्स भुवनेश्वर ने अंग प्रत्यारोपण का समर्थन करने के लिए पहले ही महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। संस्थान ने सफलतापूर्वक किडनी प्रत्यारोपण कार्यक्रम शुरू किया है, जिसने अंतिम चरण की किडनी की बीमारी से पीड़ित रोगियों को नई आशा प्रदान की है। इसके अलावा, संस्थान जल्द ही एक मृत अंग दान कार्यक्रम और यकृत प्रत्यारोपण शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह कार्यक्रम निकट भविष्य में शुरू किये जाने वाले मृतक दाता कार्यक्रम को गति प्रदान करेगा।

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