भुवनेश्वर। भुवनेश्वर हरिबोल परिवार के सौजन्य से कल कलश शोभायात्रा आयोजित हुई। इसके साथ ही अपराह्न बेला में 3.00 बजे से सायंकालः7.00 बजे तक स्थानीय तेरापंथ भवन में 09 दिवसीय रामकथा का शुभारंभ हुआ। इसमें रामकथा महात्म्य का सारगर्भित प्रवचन हुआ। वृंदावन से पधारे कथाव्यास पण्डित गिरिधर गोपाल शास्त्री ने अपने प्रवचन में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस महात्म्य का वर्णन करते हुए रामचरित मानस को एक सद्ग्रंथ बताया। साथ ही साथ उन्होंने बालकाण्ड में वर्णित मंगलाचरण को स्पष्ट करते हुए यह बताया कि आज का युग संस्कार और संस्कृति का युग है जिसमें रामकथा की प्रासांगिकता की सबसे अधिक अहम् भूमिका है।
उन्होंने बताया कि बताया कि कलियुग में रामनाम की व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और आध्यात्मिक महत्ता है। उन्होंने यह भी बताया कि रामचरितमानस में मर्यादा पुरुषोत्म श्रीराम को साकार, निराकार, नीराकार, अक्षराकार, संगीताकार, संगीताकार तथा यंत्राकार के रुप में स्पष्ट किया। भुवनेश्वर हरिबोल परिवार की ओर से सुभाष गुप्ता ने आगत सभी का स्वागत अंगवस्त्र भेंटकर किया। कथा के विराम से पूर्व आरती हुई तथा सभी ने प्रसाद ग्रहण किया।