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किसी का नाम लिये बिना बोला हमला
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पुस्तक के विमोचन के दौरान जमींदारी शोषण का किया जिक्र
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कहा-उस समय भी नौकरशाह करते थे अत्याचार और आज भी दोहराई जाती है वही बात
इण्डो एशियन टाइम्स, भुवनेश्वर।
ओडिशा में कथित नौकरशाही शासन को लेकर मची राजनीतिक भूचाल के बीच सांसद भर्तृहरि महताब ने भी कटाक्ष किया है। हालांकि उन्होंने किसी नाम नहीं लिया, लेकिन पुरानी प्रथाओं की ओट में सारी बातें कह दी। महताब के इस कटाक्ष से बीजद के अंदर पनपता विद्रोह एक और उदाहरण देखने को मिल रहा है। इससे पहले राज्य के वरिष्ठ पत्रकार तथा बीजद के विधायक सौम्यरंजन पटनायक ने भी अपनी संपादकीय में कथित नौकरशाही शासन को लेकर कटाक्ष किया था। इसके बाद बीजद के महासचिव श्याम प्रसाद बेहरा ने इस व्यस्था पर नाराजगी जताते हुए पार्टी छोड़ दी और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इन दो नेताओं के बाद सांसद भर्तृहरि महताब तीसरे वरिष्ठ नेता हैं, जिन्होंने कथित नौकरशाही शासन के खिलाफ मुंह खोला है।
महताब के इस अप्रत्यक्ष कटाक्ष से इस मुद्दे पर पार्टी के अंदर नाराजगी बढ़ने की अटकलें तेज हो गई हैं।
महताब ने यह कटाक्ष नई दिल्ली में ‘फकीर मोहन सेनापति: द मेकिंग ऑफ एन ऑथर’ पुस्तक के विमोचन समारोह में भाग लेते हुए किया। भर्तृहरि ने अपने ही लोगों के विश्वासघात और नौकरशाहों के अत्याचार के बारे में बात कही। इस दौरान मंच पर केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद थे।
महताब ने कहा कि आपके अपने ही अक्सर आपकी पीठ में छुरा घोंपते हैं। पहले जमींदार शोषण करते थे। आज भी यह चलन जरा भी कम नहीं हुआ है। उस समय नौकरशाह अत्याचार करते थे। वही बात आज भी दोहराई जाती है। जब हम फकीर मोहन के उपन्यास और कहानियां पढ़ते हैं, तो वे पात्र जीवंत हो जाते हैं।
महताब ने पूछा कि क्या आज हम उन पात्रों को अपने जीवन में नहीं देखते हैं? क्या आज भी हमें अत्याचारी मंगराज नहीं मिलते?
महताब का यह बयान मौजूदा परिस्थितियों की ओर इंगित करता है, लेकिन उन्होंने किसी का भी नहीं लिया और सबकुछ कह दिया।