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पैदा होने के बाद माता-पिता ने जंगल में फेंका था
इण्डो एशियन टाइम्स, कटक।
एक अमेरिकी जोड़े ने एक अनाथ चार वर्षीय दिव्यांग बच्ची को गोद ले लिया। इस बच्ची को जन्म देने वाले माता-पिता ने ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के बाहरी इलाके चंदका के जंगलों में फेंक दिया था। शुक्रवार को गोद लेने की प्रक्रिया के पूरी होते ही इस बच्ची को एक नया जीवन मिला। जानकारी के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका के डेविड ब्रायंट और अन्ना एलिश ने सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी होने के बाद कटक के बसुंधरा चाइल्डकेयर होम से लड़की को गोद लिया। कटक के जिलाधिकारी भवानी शंकर चयनी ने बच्ची को उसके पालक माता-पिता को सौंप दिया।
उल्लेखनीय है कि अन्ना और डेविड दोनों की पहले से ही तीन जैविक बेटियां हैं और कटक की यह लड़की उनके परिवार में चौथी बेटी होगी।
गोद लेने के बाद एना ने कहा कि हम उससे प्यार करते हैं और उसे अमेरिका वापस लाने के लिए बहुत उत्साहित हैं। हम यहां मौजूद सभी लोगों के आभारी हैं, जिन्होंने हमें उसे गोद लेने की अनुमति दी। हम बहुत सम्मानित महसूस कर रहे हैं। हम उसे भारत और इसकी संस्कृति के बारे में सिखाना जारी रखेंगे।
डेविड ने कहा कि प्रत्येक बच्चा हमारे लिए विशेष है, विशेषकर वे जिनकी विशेष आवश्यकताएं हैं। हम उसे अपने साथ अमेरिका ले जाना चाहते हैं और उसे एक बेहतरीन जिंदगी देना चाहते हैं। गोद लेने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए हमें मिले सभी समर्थन के लिए हम आभारी हैं।
बड़ी होकर कटक के लिए गौरव बनेगी
जिलाधिकारी भवानी शंकर चयनी ने कहा कि वह कटक से जाकर अमेरिका में रहेगी और अच्छे से पढ़ाई करेगी। उसके पालक माता-पिता ने मुझे उसे सभी चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने का आश्वासन दिया है। मुझे यकीन है, यह बच्ची बड़ी होकर कटक शहर के लिए गौरव बनेगी।
चंदका जंगल में लावारिस मिली थी
बताया जाता है कि यह बच्ची 16 फरवरी, 2019 को चंदका जंगल में लावारिस पाई गई थी। उसे गंभीर हालात में बचाया गया था। आवारा कुत्तों के काटने से उसका 60 प्रतिशत चेहरा क्षतिग्रस्त हो गया था। एससीबी अस्पताल में दो महीने के इलाज के बाद उसे वसुंधरा चाइल्ड केयर होम में रखा गया था। बाद में उन्हें प्लास्टिक सर्जरी के लिए तमिलनाडु के कोयंबटूर ले जाया गया।
गोद लेना एक सबक का विषय़
पूर्व बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के अधिकारी अमिय भूषण बिस्वाल ने कहा कि यह गोद लेना उन सभी माता-पिता के लिए एक सबक है, जो अपने नवजात शिशुओं को केवल इसलिए छोड़ देते हैं, क्योंकि वे लड़की है या शारीरिक विकृति के साथ पैदा हुए हैं। मुझे लगता है कि इससे भविष्य में कई और परिवारों को ऐसे अनाथ बच्चों को गोद लेना शुरू करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
Reported by Indo Asian Times, Bhubaneswar