पुरी। रथयात्रा के दिन तीनों रथों के एक साथ गुंडिचा मंदिर नहीं पहुंचने को लेकर प्रशासन समीक्षा कर रहा है। महाप्रभु श्री जगन्नाथ और देवी सुभद्रा के रथ आज बुधवार को गुंडिचा मंदिर के सामने शारदाबली पहुंचे, जबकि इसे कल मंगलवार को ही पहुंचना था। इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि किस वजह से देरी हुई।
हालांकि भगवान बलभद्र के रथ को कल गुंडिचा मंदिर तक खींचा गया था, लेकिन भगवान जगन्नाथ और देवी सुभद्रा के रथों को खींचना रोकना पड़ा।
देरी को लेकर सवाल अब पूछे जा रहे हैं, क्योंकि पहंडी और रथ खींचने सहित ज्यादातर रस्में कल तय समय से काफी पहले ही पूरी हो गईं। इसके बावजूद सभी रथ एक ही दिन में गुंडिचा मंदिर नहीं पहुंच सके।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक रंजन दास ने कहा कि हम यह नहीं कह सकते कि महाप्रभु मित्र सालबेग को दर्शन देने के लिए रुके थे या नहीं। हम देरी के कारणों की समीक्षा कर रहे हैं। दास के अनुसार, इस बिंदु पर स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि मनुष्य की इच्छा और भगवान जगन्नाथ की इच्छा के बीच बहुत बड़ा अंतर है।
तालध्वज रथ को नियंत्रित करने में देरी हुई
वरिष्ठ सेवायत विनायक दास महापात्र ने कहा कि कोई मानवीय त्रुटि नहीं है, लेकिन तालध्वज रथ को नियंत्रित करने में देरी हुई थी। हमने देखा कि रथों पर अधिक लोग थे।
दास महापात्रा के मुताबिक, घेरेबंदी के अंदर काफी लोग बिना पास के थे। दास महापात्र ने कहा कि रथयात्रा के दिन अत्यधिक गर्मी और उमस भी थी और पहंडी के दौरान सेवायात भी आराम कर रहे थे। आंतरिक और बाहरी घेरा के अंदर भीड़ की मौजूदगी के बारे में एसजेटीए के मुख्य प्रशासक ने कहा कि हम ओडिशा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मामले की समीक्षा करेंगे।