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ओडिशा में मुख्यमंत्री की अनुमति के बिना उनके निजी सचिव पांडियन कर रहे हैं दौरा

  • मुख्यमंत्री कार्यालय को नहीं है हेलीकॉप्टर के प्रयोग की जानकारी

  • सूचना अधिकार कानून के तहत मिले जवाब से हुआ खुलासा

  • भाजपा ने साधा निशाना, कहा-मुख्यमंत्री की जानकारी में उड़ाई जा रही हैं संविधान की धज्जियां

  • निजी सचिव के हेलीकॉप्टर प्रयोग पर भाजपा प्रवक्ता ने उठाए सवाल

  • पूछा-मुख्यमंत्री ने नहीं दी अनुमति तो कौन उठा रहा है हेलीकॉप्टर का खर्च

हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर।

मुख्यमंत्री के व्यक्तिगत सचिव वीके पांडियन विभिन्न जिलों का दौरा कर लोगों को बता रहे हैं कि वह मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुसार समीक्षा कर रहे हैं व जनसुनवाई कर रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय से सूचना अधिकार कानून के तहत पूछे गये सवाल में उत्तर दिया गया है कि मुख्यमंत्री ने अपने व्यक्तिगत सचिव को इस तरह का अधिकार या अनुमति नहीं दी है। इससे यह सवाल उठने लगा है कि तो क्या मुख्यमंत्री की बिना अनुमति के बिना या जानकारी के बिना क्या वह अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर समीक्षा व जनसुनवाई कर रहे हैं। मुख्यमंत्री को इस विषय में स्पष्टीकरण देना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अनिल बिश्वाल ने सूचना अधिकार कानून के जरिये मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त जानकारी को मीडियाकर्मियों के साथ साझा कर यह मांग की है।

बिश्वाल ने कहा कि उनके व्यक्तिगत सचिव वीके पांडियान के हेलीकॉप्टर दौरे को लेकर भी मुख्यमंत्री कार्यालय ने सूचना अधिकार कानून के तहत भयंकर जानकारी प्रदान की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के व्यक्तिगत सचिव प्रति दिन हेलीकॉप्टर से विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय को इसकी जानकारी नहीं है। मुख्यमंत्री कार्यालय से किए गए सवाल के उत्तर में मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा है कि उन्होंने हेलीकेप्टर से दौरा करने की कोई सूचना कार्यालय के पास नहीं है। राज्य की जनता रोज देख रही है कि वह हेलीकॉप्टर से दौरा कर रहे हैं। बिश्वाल ने प्रश्न किया तो फिर क्या पांडियन निजी हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं। यदि वह ऐसा कर रहे है, तो हेलीकेप्टर का खर्च कौन वहन कर रहा है।

बिश्वाल ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर द्वारा तैयार भारत के संविधान में स्पष्ट उल्लेख है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधि ही लोगों के प्रति उत्तरदायी हैं। जनप्रतिनिधियों के पास कार्यपालिका या ब्यूरोक्रेट उत्तरदायी हैं, लेकिन ओडिशा में जनप्रतिनिधियों की कोई औकात नहीं है और बाबू तंत्र चल रहा है। मुख्यमंत्री की जानकारी में संविधान की उलट व्यवस्था चल रही है। बिश्वाल ने कहा कि मुख्यमंत्री के संविधान की मूल भावना के बारे में अवगत कराने के लिए उन्हें  संविधान की एक प्रति भेजी जाएगी।

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