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रेल हादसे में मरे कई लोगों के एक अधिक दावेदार

  • कई परिवारों में हुई नोंकझोंक, प्रशासन ने किया इनकार

  • डीएनए टेस्ट के लिए एम्स में केंद्र स्थापित

भुवनेश्वर। बालेश्वर जिले में हुई रेल दुर्घटना में मारे गए शवों पर दावा करने को लेकर कई परिवारों में रस्साकशी का मामला देखने को मिला है। एक पर शव पर कई दावेदार देखने को मिल रहे हैं। इससे एक नया संकट खड़ा हो गया है।

खबर है कि कई परिवार के सदस्यों ने सोमवार को पीड़ितों के कुछ शवों को लेकर आपस में नोकझोंक की थी। ऐसी ही घटनाएं आज भी देखने को मिलीं।

खबरों के अनुसार, झारखंड के एक उपेंद्र कुमार के शव की पहचान उसके दोस्त ने सोमवार को की। हालांकि जब पोस्टमार्टम के बाद शव लौटाने की बात आई, तो कोई और यह कहकर शव उठा ले गया कि यह उनके रिश्तेदारों की लाश है। इसके बाद उपेंद्र के मित्र ने मामले की शिकायत की, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला था।

मृतक के दोस्त ने कहा कि मैंने अपने दोस्त उपेंद्र के शव की पहचान की थी। तब हमें बताया गया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। हालांकि, जब शव पोस्टमॉर्टम के बाद लौटा, तो हमने पाया कि इसे कोई और ले गया है। इस बीच, बालेश्वर के कुछ परिजन अभी भी अपने परिजनों की तलाश कर रहे हैं।

हालांकि, बीएमसी आयुक्त विजय अमृत कुलांगे ने आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि कुछ शव सड़ गए हैं और वे तस्वीरों से मेल नहीं खा रहे हैं, जिससे परिवार के सदस्यों को पहचानने में समस्या हो रही है। जब दावेदार कपड़े व निशान के आधार पर शव की शिनाख्त कराने का प्रयास कर रहे हैं, तो भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। तीन-चार मामलों में हमें इस तरह की गड़बड़ी मिली है। उन मामलों में, शरीर की उचित पहचान के लिए डीएनए परीक्षण की आवश्यकता होती है।

इस बीच, ट्रेन दुर्घटना में मरने वाले यात्रियों की पहचान के लिए भुवनेश्वर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एक डीएनए परीक्षण केंद्र खोला गया है।

रिपोर्टों के अनुसार, शवों की पहचान में भ्रम की स्थिति से बचने के लिए 10 से अधिक परिवारों ने डीएनए नमूने दिए हैं। डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद शवों को उनके परिजनों को सौंप दिया जाएगा।

एम्स भुवनेश्वर के अधीक्षक प्रभास रंजन त्रिपाठी ने कहा कि पुलिस सत्यापन के बाद 64 शवों को उनके संबंधित परिवार के सदस्यों को सौंप दिया गया है। अभी तक 59 शवों को सुरक्षित रखा गया है, क्योंकि अब तक किसी भी दावेदार ने उन शवों की मांग नहीं की है। त्रिपाठी ने कहा कि उन शवों की पहचान का मानदंड डीएनए परीक्षण होगा, जिसमें समय लगेगा।

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