-अशोक पाण्डेय
यह सच है कि 21वीं सदी भारत की अपनी सदी है।इसलिए समस्त भारतवासियों को अपने संकल्प आत्मनिर्भर भारत को मजबूत करना होगा और उसके लिए सतत प्रयास करना होगा।पिछले लगभग दो सालों के दौरान हमने देखा कि वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण से दुनिया के लगभग 42लाख लोग संक्रमित हुए। उनमें से लगभग पौने दो लाख लोगों की मृत्यु भी हो गई।भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी कहते हैं कि एक राष्ट्र के रुप में भारत आज एक अहम् मोड पर खडा है क्योंकि भारत आपदा को अवसर में बदल रहा है।भारत जी20 का नेतृत्व कर रहा है।भारत के लिए आत्मनिर्भर की अवधारणा अब बदल चुकी है।गौरतलब है कि आज मानवकेंद्रित वैश्वीकरण की चर्चा जोरों पर है।भारत की संस्कृति तथा संस्कार दोनों उस आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुंबकम है।भारत जब आत्मनिर्भर भारत की बात करता है तो इसका मायने है आत्मनिर्भर भारतीय की,आत्मनिर्भर भारतीय समाज की,आत्मनिर्भर भारतीय परिवार की,आत्मनिर्भर भारत के सभी प्रदेशों की और कुल मिलाकर आत्मनिर्भर भारतीय राष्ट्र की,हिन्दुस्तान की।भारत के आत्मनिर्भर व्यवसाय की,कारोबार की,उद्योग की और स्वरोजगार की।सभी जानते हैं कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है जिसको सबसे पहले स्वावलंबी तथा आत्मनिर्भर बनाना होगा।भारत के किसानों को आत्मनिर्भर और खुशहाल बनाना होगा।उनकी श्रमशक्ति को हनुमान जी की तरह ही उनकी प्रशंसा करके बढानी होगी। वास्तविक भारतीयता यह मानती है कि एक भारतीय की सोच धरती को मां मानने की है। सभी को सुखी,खुशहाल और समृद्ध बनाने और देखने की है।आज के सामान्य मानव के युग में एक भारतीय के कार्य का प्रभाव पूरे विश्व पर पड रहा है। जब भारत खुले में शौच से बचता है तो दुनिया की तस्वीर भी बदल जाती है।अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस तो भारत ने ही दुनिया को उपहार में दिया है जिससे विश्व मानवता तनावमुक्त हो रही है।आज भारत के लगभग 140 करोड लोगों को आत्मनिर्भर भारत का संकल्प यह संकल्प है-आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करना।एक समय था जब आत्मनिर्भर भारत को सोने की चिडिया कहा जाता था।कालांतर के उपरांत आज पुनः भारत विकास की डगर पर चल पडा है,आत्मनिर्भर भारत की राह पर चल पडा है क्योंकि आज भारत के पास नई तकनीक है,नई सोच है,नये संसाधन हैं,बेहतर साम्यर्थ है,सबसे बडी बात यह कि भारत लगभग 40 फीसदी युवाओं का विश्व का इकलौता देश है जिसके पास दुनिया की सबसे अच्छी मेधाशक्ति है।भारत अब बेस्ट प्रोडक्ट्स तैयार करता है।बेस्ट क्वालीटी प्रोडक्शन देता है।अपनी आपूर्ति को आधुनिक बनाकर उसे बढा रहा है।आज प्रत्येक भारतीय के पास आत्मनिर्भर भारत की संकल्प शक्ति है।अगर हम भारतीय ठान लें तो कोई की लक्ष्य हमारे लिए असंभव अथवा मुश्किल नहीं है।हमारे लिए आज न तो राह मुश्किल है न ही चाह मुश्किल है।निर्विवाद रुप में यही भारत को आत्मनिर्भर भारत बनाएगा।भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी यह बराबर कहते हैं कि भारत कुल पांच पिलर पर खडा भारत है-बेस्ट इकोनोमी,बेस्ट इंफ्रास्ट्र्क्चर,बेस्ट सिस्टम,बेस्ट डेमोग्राफी तथा बेस्ट डिमांड।भारत की लोक कल्याणकारी सरकार की एक योजना- मेक इन इण्डिया निश्चित रुप से आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में सहायक सिद्ध हो रही है।आज समस्त भारतवासियों को अपनी श्रमशक्ति,संघर्षशक्ति,संयमशक्ति और विभिन्न मेधाशक्ति को बढाना होगा।हमारे भारतीय किसानों, पशुपालकों,गरीबों,मजदूरों,श्रमिकों,प्रवासी मजदूरों, मछुआरों, स्थानीय मैन्युफैक्चरों आदि को स्थानीय बाजारों में अपनी-अपनी सप्लाई चेन को बढाना होगा।हमारे स्थानीय प्रोडक्स को क्वालिटी के साथ अन्तर्राष्ट्रीय बनाना होगा। इसके लिए सभी भारतीय को लोकल से वोकल बनना होगा।देश के खादी और हैंडलूम उद्योगों के उत्पादन में तेजी से वृद्धि करनी होगी।भारतीय शाश्वत परम्परा यह मानती है कि हम स्वयं अच्चे बनें।हम अपनी अच्छाई का प्रयोग भारत के साथ-साथ दुनिया को अच्छा बनाने में लगाएं।हमारी विदुर नीति भी यह कहती है कि अनुशासन में रहकर हम अच्छा बनें तथा सभी के लिए अच्छा करें।हमारी हिन्दू परम्परा में एकांत में आत्म साधना करने और लोकांत में परोपकार करने को मान्यता देती है।आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में आप जो भी करें निःस्वार्थभाव से करें। अपने अहंकार को त्यागकर करें। आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने की राह में अहंकार की तृप्ति,कीर्ति और प्रसिद्धि जैसी स्वार्थी मनोवृत्ति से बचने की आवश्यकता है।इसलिए आपत्ति,विपत्ति में मानव-सेवा तथा लोकसेवा करनी चाहिए।सेवा का काम अच्छा होना चाहिए। अपनत्व,स्नेह और प्रेम के साथ होना चाहिए।यह आपके आचरण और व्यवहार में दिखना चाहिए।रामायण के अनुसार हनुमान जी के पास धृति,मति और द्राक्ष अर्थात् सावधानी तीनों दिव्य गुण थे जिसके बदौलत सभी देवतागण उनकी प्रशंसा करते थे। आज आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में प्रत्येक भारतीय के पास उसी प्रकार की धृति,मति तथा द्राक्ष होनी चाहिए।आज एकतरफ जहां शासन,प्रशासन तथा राजनीति से जुडे लोगों को स्वार्थमूलक न होकर समाजोन्मुख तथा देशोन्मुख होने की जरुरत है।आज आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए गोपालन तथा जैविक खेती को बढावा देना होगा।अगर समस्त भारतीय चाहते हैं कि भारत आत्मनिर्भर भारत बने तो सबसे पहले उन्हें कार्यसंस्कृति संपन्न तथा दूरदर्शी बनना होगा। अपने कुल 6 निजी स्वार्थों से ऊपर उठना होगा और वे हैं-निद्रा,भय,क्रोध,तन्द्रा,आलस्य और दीर्घसूत्रता। यह भी जरुरी है कि किसी के मन में इसके लिए किंतु और परन्तु का भाव बिलकुल ही नहीं होना चाहिए।अपनी-अपनी समझदारी को देश के शक्तिबोध तथा सौंदर्यबोध के लिए बदलनी होगी।भारत के लगभग 140 करोड लोग भारत मां के अपने पुत्र हैं,ये भारत मां के अपने बंधु हैं और इनको अगर नई सदी में हमसब खुश देखना चाहते हैं तो तन,मन,धन,त्याग,तपस्या,साधना और सेवा से आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में लगना होगा।