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तीन बेटों के नहीं आने पर किया मां का अंतिम संस्कार
केंदुझर। जिले के तेलकोई थानांतर्गत सलेईकणा गांव में तीन बेटे होने के बावजूद बेटी ने मां की अर्थी को कंधा दिया और अंतिम संस्कार की। पड़ोसियों, स्थानीय सरपंच और वार्ड सदस्य
की मदद से बेटी अपनी मां के शव को अपने कंधे पर उठाकर श्मशान घाट ले गई और उसका अंतिम संस्कार किया। बताया जाता है कि 80 वर्षीय अपूर्वा नायक सलेइकणा गांव में अपनी बड़ी बेटी निरश नायक के घर में रहती थी, जहां आज उनका निधन हो गया। अपूर्वा मूलतः जोड़ा प्रखंड के मरसुआं गांव की रहने वाली थी, लेकिन पति मुकुंद की मौत के बाद उसके तीन बेटों ने देख-रेख नहीं की। बेटी ने कहा कि मेरे तीन भाइयों ने मां की देखभाल नहीं की। वह पिछले पांच सालों से हमारे साथ रह रही थी। इतने सालों में मेरे भाइयों ने कभी उसके बारे में बात नहीं की और न ही कुछ पूछा। आज उनके मरने के बाद मैंने अपने भाइयों से मां के अंतिम संस्कार में आने के लिए संपर्क किया। उन्होंने मुझे अपनी मां के शव को उनके स्थान पर लाने के लिए कहा, लेकिन मेरे पास इसके लिए पैसे नहीं थे। इसलिए मैं अपने पड़ोसियों, स्थानीय सरपंच और वार्ड सदस्य की मदद से उसका अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया। बेटी के एक पड़ोसी ने कहा कि चूंकि उनके बेटे अंतिम संस्कार के लिए नहीं आए और हमसे अनुरोध किया गया तो हम दाह संस्कार में मदद कर रहे हैं। स्थानीय सरपंच ने कहा कि मुझे मृतक के पोते का फोन आया कि उसकी नानी मर चुकी है। चूंकि उसके बेटे नहीं आए हैं, हम शव का अंतिम संस्कार करने जा रहे हैं, तो हम भी इसमें शामिल होने पहुंचे।