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महाप्रभु श्री जगन्नाथ की चंदनयात्रा 22 अप्रैल से

  • अक्षय तृतीया से शुरू होगा विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के लिए नये रथों का निर्माण

पुरी। पुरीधाम में महाप्रभु श्री जगन्नाथ की विजय प्रतिमा मदनमोहन आदि की 21 दिवसीय बाहरी चंदनयात्रा 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन से चंदन तालाब में आयोजित होगी। कहते हैं कि एक तरफ भगवान जगन्नाथ भोजन प्रिय देव हैं और वस्त्र प्रिय कलियुग के एकमात्र पूर्ण दारुब्रह्म देव हैं, जो प्रतिदिन अपनी रुचि के अनुसार भोजन करते हैं तथा वस्त्र धारण करते हैं। ठीक उसी प्रकार वे जल प्रिय देव भी हैं। इसका प्रमाण उनकी 21दिवसीय बाहरी चंदनयात्रा तथा 21 दिवसीय श्रीमंदिर के अंदर की जलक्रीड़ा यात्रा है, जो प्रतिवर्ष अनुष्ठित होती है। भगवान जगन्नाथ एक साधारण मानव की तरह ही मानव शरीर के सुख-दुख का अनुभव करते हैं। वे वैशाख-जेठ मास की भीषण गर्मी से परेशान होकर चंदन तालाब में कुल 21 दिनों तक मलमलकर स्नान करते हैं। नौका विहार करते हैं और कुछ देर तालाब के बीचोंबीच निर्मित चंदन घर में विश्राम करते हैं। 21 दिनों तक चंदनयात्रा कर रात्रि बेला में समस्त देवगण पुनः श्रीमंदिर लौट आते हैं। प्रतिवर्ष वैशाख मास की अक्षय तृतीया के दिन से जगन्नाथ भगवान की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के लिए नये रथों के निर्माण का कार्य पुरी के गजपति तथा श्री जगन्नाथ जी के प्रथम सेवक के राजमहल श्रीनाहर के समीप संपन्न होता है। वहीं अक्षय तृतीया के दिन से ही श्री जगन्नाथ जी विजय प्रतिमा मदनमोहन आदि की 21 दिवसीय बाहरी चंदन यात्रा भी आरंभ होती है, जो पूरे 21 दिनों तक चलती है। श्रीमंदिर की समस्त रीति-नीति के तहत जातभोग संपन्न होने के उपरांत अपराह्न बेला में भगवान जगन्नाथ की विजय प्रतिमा मदनमोहन, रामकृष्ण, बलराम, पंच पाण्डव, लोकनाथ, मार्कण्डेय, नीलकण्ठ, कपालमोचन, जम्बेश्वर लक्ष्मी, सरस्वती आदि को अलौकिक शोभायात्रा के मध्य पुरी नगर परिक्रमा कराकर चंदन तालाब लाया जाता है। शोभायात्रा के आगे-आगे परम्परागत बनाटी कौशल प्रदर्शन, तलवार चालन, पाईक नृत्य और भजन-संकीर्तन के मध्य चंदन तालाब लाया जाता है, जहां पर पहले से ही गजदंत आकार की नौकाएं एकसाथ जोडकर तथा हंस के आकार की तैयार कर रहतीं हैं। उन नौकाओं को पूरी तरह से सुसज्जितकर पूरे 21 दिनों तक देवों को उन नौकाओं में आरुढ़ कराकर तालाब के एक छोर से दूसरे छोर तक नौका विहार कराया जाता है। चंदन तालाब के मध्य अवस्थित चंदनघर ले जाकर उन्हें सुवासित जल से स्नान कराया जाता है। कुल लगभग तीन एकड़ में फैले चंदन तालाब को बिजली की रोशनी से अति सुंदर तरीके से आलोकित किया जाता है, जिसके देश-विदेश के हजारों जगन्नाथ भक्त दर्शनकर अपने मानव-जीवन को प्रतिवर्ष सार्थक बनाते हैं।

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