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राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिक सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज
भुवनेश्वर/नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बड़े फैसले में ओडिशा एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (ओएटी) को खत्म करने के लिए केंद्र की अधिसूचना के संबंध में उड़ीसा उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने ओडिशा प्रशासनिक ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उड़ीसा उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें ट्रिब्यूनल के उन्मूलन को बरकरार रखा था। पीठ ने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 323ए केंद्र सरकार को राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण को समाप्त करने से नहीं रोकता है, क्योंकि ‘यह केवल एक सक्षम शक्ति है, जो केंद्र सरकार को राज्य सरकार के अनुरोध पर अपने विवेक से एक प्रशासनिक न्यायाधिकरण स्थापित करने में सक्षम बनाती है। एक राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से केंद्र ने 2 अगस्त, 2019 को ओडिशा राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण को समाप्त कर दिया था।
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तहत कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने इसको खत्म करने के लिए गजट अधिसूचना जारी की थी। केंद्र सरकार ने एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल एक्ट 1985 के सेक्शन-4(2) और जनरल क्लॉजेज एक्ट के सेक्शन-21 के तहत इसको खत्म कर दिया।
इसके बाद ओडिशा प्रशासनिक ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन ने ट्रिब्यूनल को खत्म करने के संबंध में केंद्र की अधिसूचना को चुनौती दी थी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने भी उन्मूलन आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और केंद्र और ओडिशा सरकार दोनों को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया था।
एसोसिएशन ने दावा किया था कि एसएटी में 50,000 से अधिक मामले निपटान के लिए लंबित हैं और इसलिए अधिसूचना को रद्द कर दिया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र के नोटिफिकेशन को वैध माना था। बाद में एसएटी बार एसोसिएशन ने बाद में उन्मूलन अधिसूचना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, ओडिशा एसएटी की स्थापना 14 जुलाई, 1986 को हुई थी। बाद में, सितंबर 2015 में ओडिशा कैबिनेट ने ट्रिब्यूनल को खत्म करने का फैसला किया था। हाईकोर्ट की सिफारिश के बाद केंद्र ने ट्रिब्यूनल को खत्म कर दिया।
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