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कहा- स्वयं की योजनाओं के लिए पैसे का प्रावधान क्यों नहीं किया गया
बिश्वाल ने कहा कि राज्य सरकार ने स्वयं की योजना बता कर कुल 13 योजनाएं शुरु करने का जोर शोर से प्रचार किया था, लेकिन उन योजनाओं में किसी प्रकार का काम नहीं हो रहा है और सारा विकास का काम केन्द्र सरकार की योजना से हो रहा है।
राज्य सरकार ने बीजू पक्काघर योजना अपने स्वयं की धनराशि से शुरु की थी। लेकिन गत तीन वर्षों में इस योजना में केवल 3309 घरों का निर्माण हुआ है जबकि केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना में गत छह सालों में राज्य में 18 लाख 28 हजार से अधिक पक्का घरों का निर्माण हुआ है तथा और 9 लाख 58 हजार घरों के निर्माण के लिए केन्द्र सरकार ने धनराशि आवंटित की है। इससे स्पष्ट है कि राज्य सरकार की आवास योजना केवल दिखावे व प्रचार के लिए। राज्य में पक्का घरों के निर्माण का काम केन्द्र सरकार की योजना से हो रहा है।
इसी तरह राज्य सरकार ने स्वयं के खाद्य सुरक्षा योजना शुरु किया था। इस योजना मे केवल राज्य के 8 लाख लोगों को लाभ मिल रहा है जबकि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में राज्य के 3 करोड 25 लाख लोगों को प्रति माह पांच किलो चावल मिल रहा है। इसलिए राज्य का खाद्य सुरक्षा योजना भी केवल दिखावा व प्रचार के लिए है।
इसी तरह केन्द्र सरकार की दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के मुकाबले राज्य सरकार ने बीजू ग्राम ज्योति योजना शरु की थी। लेकिन राज्य में बिजली कनेक्सन प्रदान करने का काम मूल रूप से दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण विद्युतीकरण योजना से हुआ है जबकि बीजू ग्राम ज्योति योजना में कोई काम नहीं हो रहा है। यही स्थिति राज्य सरकार के अन्य योजनाओं का है। कुल मिलाकर राज्य का विकास का काम केन्द्र सरकार की योजनाओं से हो रहा है। राज्य सरकार की योजना केवल दिखावे व प्रचार के लिए है।