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एक और फर्जी नौकरी रैकेट का खुलासा

  • देश के 17 राज्यों में फैला रखे हैं नेटवर्क

  •  ओडिशा पुलिस की स्पेशल विंग ने एक आरोपी धर्मपाल सिंह को गिरफ्तार किया

भुवनेश्वर। ओडिशा आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) एक और फर्जी नौकरी रैकेट का खुलासा करने में सफलता हासिल की है। इस मामले में एक आरोपी को भी गिरफ्तार किया गया है। बताया जाता है कि यह गिरोह देश के 17 राज्यों में ग्रामीण रोजगार कल्याण संस्थान के नाम से काम कर रहा था।

ओडिशा पुलिस की स्पेशल विंग ने इस मामले में एक आरोपी धर्मपाल सिंह को गिरफ्तार किया है, जो बिहार के रूपनचक का रहने वाला है। उसे 15 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था और उसे पांच दिन की ट्रांजिट रिमांड पर ओडिशा लाया जा रहा है। सिंह ग्रामीण रोजगार कल्याण संस्थान का सचिव है। इसका पंजीकृत कार्यालय नई दिल्ली में है और अन्य कार्यालय मुंबई, भोपाल और देहरादून में हैं।

ईओडब्ल्यू के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि घोटालेबाजों ने एक वेबसाइट विकसित की थी जो सरकार की तरह नौकरी के विज्ञापनों को प्रदर्शित करने वाली एक सरकारी वेबसाइट से मिलती जुलती थी।

नौकरियों के लिए आवेदन करता था आमंत्रित

रैकेट कैसे संचालन के बारे में बताया गया है कि ग्रामीण रोजगार कल्याण संस्थान (जीआरकेएस) व्यक्तिगत पदों के लिए शैक्षिक योग्यता और पारिश्रमिक निर्धारित करके जिला और ब्लॉक समन्वयक, कंप्यूटर ऑपरेटर, ब्लॉक सर्वेयर जैसे विभिन्न नौकरियों के लिए आवेदन आमंत्रित करता था। नौकरी चाहने वालों को घोटालेबाजों द्वारा बनाई गई वेबसाइट के माध्यम से अपना आवेदन जमा करने के लिए कहा गया था। नौकरी चाहने वालों का विश्वास हासिल करने के लिए, बदमाशों ने आरक्षण और रियायती शुल्क की भी पेशकश की, जैसा कि सरकारी नौकरी के लिए किया जाता है।

समाचार पत्रों में भी जारी करता था विज्ञापन

ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने बताया कि आरोपी ओडिशा के विभिन्न समाचार पत्रों में भी विज्ञापन जारी करता था। रैकेट ऑनलाइन परीक्षा और साक्षात्कार आयोजित करता था और अपनी वेबसाइट पर प्रत्येक पद के लिए पाठ्यक्रम देता था। ईओडब्ल्यू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फर्जी वेबसाइट ने नौकरी चाहने वालों को नौकरी की धोखाधड़ी के बारे में भी चेतावनी दी।

लाखों बेरोजगारों ने किया आवेदन

एक अनुमान के अनुसार बताया गया है कि देशभर के लाखों बेरोजगार युवाओं ने आवश्यक आवेदन शुल्क का भुगतान करके 2020 से विभिन्न पदों के लिए आवेदन किया। गौरतलब है कि आवेदकों को ऑनलाइन परीक्षा में बैठाया जा रहा था, लेकिन उनमें से किसी को भी नियुक्ति नहीं दी जा रही थी और जानबूझ कर अयोग्य ठहराया जा रहा था।

फर्जी छात्रवृत्ति की ऑनलाइन परीक्षा भी कराता था

बताया गया है कि जीआरकेएस भोले-भाले नौकरी चाहने वालों से करोड़ों रुपये के आवेदन शुल्क की हेराफेरी कर रहा था। आरोपी फर्जी छात्रवृत्ति ऑनलाइन परीक्षा भी कराता था।

मनी लॉन्ड्रिंग भी होती थी

ईओडब्ल्यू ने कहा कि घोटालेबाज गलत तरीके से कमाए गए पैसे को रूट करने और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए कई शेल कंपनियों का इस्तेमाल कर रहे थे। इस मामले की जांच की जा रही है।

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