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आंध्र प्रदेश के अस्पताल प्रबंधन की बेरहमी गरीबी पर भारी
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शव के लिए गाड़ी नहीं मिली तो कंधे पर शव लेकर आया कोरापुट
कोरापुट। ओडिशा में हुई दिल दहला देने वाली दाना मांझी की घटना के करीब सात साल बाद एक फिर ऐसी घटना घटी है, जो मानवता को शर्मशार करने वाली है। हालांकि यह घटना पड़ोसी राज्य में हुई है, लेकिन इसके तार ओडिशा से जुड़े हैं। यहां पैसे की कमी के कारण आंध्र प्रदेश से एक व्यक्ति अपनी पत्नी का शव कंधे पर लेकर लगभग 33 किलोमीटर पैदल चलकर ओडिशा के कोरापुट जिले में आया।
खबरों के मुताबिक, कोरापुट जिले के पोट्टांगी इलाके का निवासी गुरु और उनकी पत्नी पड़ोसी राज्य के विशाखापट्टनम में मजदूर के रूप में काम कर रहे थे। कुछ दिनों पहले हालत बिगड़ने पर महिला को सागरबलसा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि इलाज के दौरान कल उन्होंने अंतिम सांस ली। इधर, अपनी पत्नी के इलाज के कारण गुरु के पैसे खत्म हो गये थे। इसलिए उसने अस्पताल के अधिकारियों से अंतिम संस्कार के लिए शव को उसके गांव तक पहुंचाने की व्यवस्था करने का अनुरोध किया, लेकिन
अस्पताल के अधिकारियों ने शोक संतप्त व्यक्ति की कोई मदद नहीं की। जब कोई विकल्प नहीं मिला तो गुरु ने बाद में शव को कंधे पर लादकर कोरापुट स्थित अपने गांव के लिए चल पड़ा। हालांकि, रास्ते में लोगों ने इस व्यक्ति के शव को अपने कंधे पर ले जाने के असामान्य दृश्य को देखा, लेकिन उनमें से कोई भी उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया। गुरु राष्ट्रीय राजमार्ग पर कंघे पर लदा पत्नी के शव के साथ अपने गंतव्य की बढ़ता गया। इस बीच कुछ राहगीरों ने गुरु को विजयनगर के पास देखा और स्थानीय पुलिस को सूचित किया। गुरु की दुर्दशा के बारे में जानने पर विजयनगर ग्रामीण पुलिस की एएसआई किरण कुमार उनकी सहायता के लिए आगे आए। पुलिस ने एक एंबुलेंस की व्यवस्था की, जिसमें शव को गांव ले जाया गया। पुलिस की ओर से इस अनुकरणीय कार्य की सभी तिमाहियों से प्रशंसा हो रही है।
उल्लेखनीय है कि ओडिशा के कलाहांडी के दाना मांझी ने साल 2016 के अगस्त में लगभग 10 किमी तक अपनी पत्नी के शव को अपने कंधे पर ढोया था। उन्हें भी जिला मुख्यालय अस्पताल ने वाहन उपलब्ध नहीं कराया था।